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अपनी बेटी पर ब्रह्मा ने डाली बूरी नज़र ! शिव ने पांचवां सिर काटकर दिया दंड !

भगवान ब्रह्मा को सृष्टि का रचयिता कहा जाता है.

कहते हैं कि भगवान शिव ने ब्रह्मा को सृष्टि का निर्माण करने की ज़िम्मेदारी सौंपी थी और सृष्टि की रचना करने के लिए उन्होंने एक स्त्री का निर्माण किया.

ब्रह्मा ने उस स्त्री की रचना की थी इस लिहाज़ से वो उसके पिता हुए.

लेकिन उस स्त्री की सुंदरता में भगवान ब्रह्मा इस कदर खो गए कि उन्हें इस बात का ज़रा सा भी ख्याल नहीं रहा कि वो उनकी बेटी है.

इसके परिणाम स्वरुप ब्रह्मा को अपने इस पाप के लिए अपना पांचवां सिर गंवाना पड़ा.

ब्रह्मा ने की सरस्वती की रचना

मत्स्य पुराण के अनुसार जब भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की तो वह इस समस्त ब्रह्मांड में अकेले थे. ऐसे में उन्होंने अपने मुख से शतरुपा को उत्पन्न किया. जिसे सरस्वती, संध्या और ब्राह्मी भी कहा जाता है.

सरस्वती के प्रति हुए आकर्षित

भगवान ब्रह्मा अपनी ही बनाई हुई रचना, सरवस्ती के प्रति आकर्षित होने लगे और लगातार उन पर अपनी दृष्टि डाले रखते थे. भगवान ब्रह्मा की दृष्टि से बचने के लिए सरस्वती चारो दिशाओं में छिपती रहीं लेकिन वह उनसे नहीं बच पाईं.

ब्रह्मा के थे पांच सिर

सरस्वती भगवान ब्रह्मा से छुपने के लिए जहां भी जाती, वो उसपर नज़र रखने के लिए एक सिर विकसित कर लेते. इस तरह से उनके पांच सिर हो गए. जब सरस्वती आकाश में जाकर छुप गईं तब अपने पांचवें सिर से ब्रह्मा ने उन्हें आकाश में भी खोज निकाला.

शिव ने किया ब्रह्मा को दंडित

ब्रह्मा के इस व्यवहार से मायूस, सरस्वती काफी बैचेन हो गई. लेकिन ब्रह्मा की ये हरकत भगवान शिव से छुप नहीं सकी. क्रोध में आकर भगवान शिव प्रकट हुए और ब्रह्मा को सबक सिखाने के लिए उनका पांचवा सिर काट दिया.

भगवान शिव ने ब्रह्मा से कहा कि शतरुपा यानि सरस्वती आपकी बेटी है क्योंकि इसकी रचना आपके द्वारा हुई है इसलिए उसपर मुग्ध होना अत्यंत गलत है.

ब्रह्मा जी का सिर काटने के बाद भगवान शिव ने निर्देश देते हुए कहा कि “अपवित्र” ब्रह्मा के लिए इस ब्रह्मांड में कोई उचित तपस्या का स्थान नहीं होगा.

गौरतलब है कि ब्रह्मा ने अपनी ही बनाई हुई स्त्री पर आकर्षित होने का पाप किया जिसके चलते उन्हें अपना पांचवा सिर गंवाना पड़ा.

इतना ही नहीं उन्होंने संसार में अपने पूजे जाने का अधिकार भी खो दिया.

इस तरह त्रिमूर्ति में से भगवान विष्णु और शिव की पूजा आज भी हर जगह होती है लेकिन ब्रह्मा की पूजा देशभर में न के बराबर होती है.

Anita Ram

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