विशेष

एक ऐसा सैनिक जो पेट पालने के लिए सड़कों पर करतब दिखाता है

देश की सीमा पर हर पल तैनात रहने वाले हमारे जवान कभी भी ये नहीं सोचते कि जब उनके साथ कुछ हादसा हो जाएगा तब उनकी फैमिली को कौन देखेगा.

जवानों के शहीद होते ही सरकार भी भूल जाती है. आज देश में ऐसे बहुत से जवान हैं जो गोली लगने के कारण अपाहिज हो गए हैं, लेकिन उनके परिवार के लिए सरकार कुछ नहीं करती. देश की सुरक्षा के लिए हमारे जवान देश की सीमा पर शहीद तक हो जाते हैं, लेकिन हम उनके बारे में एक पल भी नहीं सोचते.

जवानों का जज़्बा बढ़ाने के लिए हम बहुत कुछ कर सकते हैं, लेकिन करते नहीं.

अपने परिवार में इतने व्यस्त रहते हैं कि समझ नहीं आता उनके लिए समय कहाँ से निकालें. २६ जनवरी के दिन देश की सड़कों पर हाथ में झंडा लिए ऐसे कई बच्चे दिखें, जिनके पैरों में चप्पल नहीं थी, लेकिन दिल के भीतर गज़ब का जज़्बा था. ऐसे ही एक लड़के पर मीडिया की नज़र पड़ी.

सैनिकों की वर्दी में ये लड़का अपने गले में एक छोटी सी ढोल टांगकर उसे बजाकर लोगों से पैसे मांग रहा था.

इस बच्चे की कहानी बहुत ही भावनात्मक है. सुनकर आपको रोना आ जाएगा. इस लड़के ने मीडिया से कहा, ”मुझे याद नहीं कि मेरा गांव कहां है. मैं बहुत बचपन से अपने चाचा के साथ सड़क पर रह रहा हूं. दिनभर सिग्नल पर कभी फूल, तो कभी कार की खिड़कियां साफ करने के कपड़े बेचता हूं. चाचा कहते हैं कि बच्चों को देखकर लोगों का दिल जल्दी पसीज जाता है. मैं पास की बत्ती पर खड़ा सामान बेचता हूं.”

१५ अगस्त और २६ जनवरी के दिन ये लड़का सैनिकों की वर्दी में सड़क पर रहता है. इसका एक विशेष कारण है. खबरों की मानें तो इस लड़के के चाचा ने कहा कि साल के ये दो दिन ही लोग हमारे सैनिकों को याद करते हैं. ऐसे में सड़क पर इस वर्दी में कुछ बेचा जाए या करतब दिखाया जाए, तो बहुत पैसे मिलते हैं. ये कपड़ा इस लड़के को उसके चाचा ने दिलाया. उन्हें किसी महिला ने अपने बेटे का पुराना कपड़ा दिया. उस महिला के बेटे ने सैनिक की उस वर्दी को अपने स्कूल के फंक्शन में पहना था और लोगों के सामने देशभक्ति का गीत गाकर लोगों का मनोरंजन किया था. ये लड़का इसे पहनकर वही काम सड़कों पर कर रहा है.

१५ अगस्त और २६ जनवरी को बाकी बच्चे अपने स्कूलों में तरह तरह के प्रोग्राम में भाग लेते हैं, लेकिन ये लड़का इन दो ख़ास दिनों में सड़कों और सिग्नल पर झंडे बेचता है.

एक पल में इस लड़के को देखने के बाद सीमा पर तैनात हमारे जवानों का चेहरा सामने आ जाता है. ऐसा लगता है कि एक वो वर्दी है जो हमारे चैन के लिए अपना सबकुछ गंवा रही है और एक ये है कि जो कुछ पाने के लिए हमारे सामने हाथ फैला रही है. बड़ी अजीब बिडंबना है ये.

जिस तरह से राष्ट्रगान पर हम खड़े होकर उसे सम्मान देते हैं, उसी तरह हमें देश की सीमा पर के हमारे जवानों की वर्दी का भी सम्मान करना चाहिए.

Shweta Singh

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Shweta Singh

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