ये दुनिया अजीबो गरीब लोगों से भरी हुई है. कभी किसी को कोई बीमारी हो जाती है तो कभी कुछ. ऐसी अजीबो गरीब दुनिया में एक और वाकया सामने आया है. वो ये है कि एक लड़के को लड़कियों वाली परेशानी शुरू हो गई है. एक ऐसा लड़का है जो हर महीने पीरियड्स की समस्या से गुज़रता है. लड़कियां जानती हैं कि ये कितना मुश्किल भरा पल होता है. एक लड़के के लिए ये और भी परेशानी भरा होता है.
वो पंद्रह साल का था. सीना एकदम सपाट था इसलिए खूब भागता-दौड़ता, पेड़ों पर चढ़ता. किसी ने कभी उसे अलग से नोटिस नहीं किया. एक दिन अचानक उसके पीरियड शुरू हो गए और उसकी पहचान बदल गई. सब उत्सव मना रहे थे कि वो औरत बन रहा है. लोगों के लिए ये उत्सव स एकं नहीं था लेकिन उस लड़के की पूरी जिंदगी बदल गई. लड़के को समझ आ गया था कि अब वो न तो औरत रह गया और न ही मर्द. असल में वो एक ट्रांस जेंडर हो गया था. उसकी दुनिया उजड़ गई थी. जेंडर आइडेंडिटी से जूझ रहे वॉशिंगटन के कैस ने खुदकुशी की भी कोशिश की. अब वे पीरियड एक्टिविस्ट हैं. कैस लोगों को बताते हैं कि औरतों के अलावा ट्रांसजेंडर लोगों को भी पीरियड आते हैं और ये किसी भयावह सपने से कम नहीं.
पीरियड सिर्फ लड़कियों को ही हर महीने नहीं आते, बल्कि कई सारे ट्रांसजेंडर भी ब्लीड करते हैं. ये अपने आप में तकलीफदेह है, लेकिन अगर आप लड़की नहीं तो ये और भी बड़ी समस्या साबित होती है. सबसे बड़ी समस्या ये है कि आप अपनी तकलीफ किसी से बांट नहीं सकते. दूसरी समस्या सुरक्षित तरीके से पैड या टैंपून बदलना है. अगर आप घर से बाहर हैं तो आपको फीमेल वॉशरूम के उपयोग की इजाजत नहीं होती, महिलाएं इससे डर जाती हैं. आप उन्हें ये नहीं समझा सकते हैं कि आप भी इस मामले में उन्हीं की तरह हैं.
ये पहली बार हुआ है जब किसी लड़के को पीरियड्स की समस्या हुई है. ये लड़का जो अब ट्रांस जेंडर बन चूका है. वो दुनिया को अपने लेखों के माध्यम से ये बताना चाह रहा है कि ट्रांस जेंडर भी ब्लीड करते हैं. उन्हें भी इसे झेलना पड़ता है. इस लड़के ने अपनी कुछ बातें सोशल मीडिया पर शेयर की. इसने कहा, “सब जानते हैं कि मैं एक ट्रांसजेंडर और समलैंगिक हूं. सीधी-सादी भाषा में कहें तो मैं बीच में कहीं अटका हुआ हूं. न इधर, न उधर. जब मैं लैंगिक समानता और संवेदनशीलता की बात करता हूं तो ये कोई उथला विषय नहीं. किसी भी और महिला की तरह हर महीने पीरियड आना मेरे लिए किसी डरावने सपने से कम नहीं.सबके लिए मैं एक औरत होने जा रहा था, लेकिन मेरी आजादी छिन चुकी थी. सब मेरे भीतर के बच्चे की मौत का उत्सव मना रहे थे. सबने कहा कि मेरे कूल्हे अब भारी होने लगेंगे. मैं उनकी तरफ देखता और रोता. मेरे शरीर ने ही मुझे धोखा दे दिया. पांच दिनों तक चलने वाले खून के धब्बों ने मुझे एक ऐसी पहचान दे दी, जो सच्ची नहीं. हर महीने जब पीरियड आते हैं, मैं उसी पहले दिन को दोबारा जीने लगता हूं. उतने ही दिनों के लिए मेरा जेंडर बदल जाता है. मैं सांस लेने में भी संघर्ष करता हूं.”
निश्चित तौर पर इस लड़के की ये कहने आँखों को नम कर देती है. इस तरह की कहानी सुनना तो ठीक है लेकिन असल लाइफ में इसे फेस करना बहुत मुश्किल.