सफर के दौरान अक्सर आप भी बोतलबंद पानी खरीदते होंगे और एक लीटर पानी के लिए आप 20 रुपए चुकाते हैं, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि जिस पानी के लिए आप इतनी कीमत चुका रहे हैं असल में उसका मूल्य क्या है?
देश में बोतलबंद पानी की मांग लगातार बढ़ रही है, क्योंकि लोग इस सुरक्षित मान रहे हैं और इसी चक्कर में फ्री में मिलने वाले पानी के लिए पैसे दे रहे हैं.
पानी की बोतल अलग-अलग ब्रांड्स की होता है और उसी के हिसाब से उनकी कीमत भी अलग होती है. आमतौर पर एक लीटर बोतलबंद पानी 20 रुपए में मिलता है. ये नल के पानी से लगभग 10 हजार गुना ज्यादा महंगा होता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, आधा लीटर बोतलबंद पानी की जो कीमत हम चुकाते हैं, वो दिनभर के घरेलू काम जैसे खाना पकाने, बर्तन धोने और नहाने में लगने वाले पानी जितनी कीमत लेता है. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर बोतल वाला पानी इतना महंगा कैसे हो जाता है?
प्लास्टिक की बोतल की कीमत (थोक में खरीदी के बाद)- 80 पैसे
पानी की कीमत (एक लीटर)- 1.2 रुपए
पानी को विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजारने की लागत- 3.40 रुपए/बोतल
अतिरिक्त व्यय- 1 रुपए
कुल लागत- 6 रुपए 40 पैसे
यानी लगभग 7 रुपए के लिए हम 20 या उससे भी ज्यादा खर्च कर रहे हैं. क्या इतने पैसे चुकाने के बावजूद हमें सुरक्षित पानी मिल रहा है? पर्यावरण पर शोध कर रही ज्यादातर संस्थाओं का मानना है कि पानी का महंगा ब्रांड लेने का ये मतलब नहीं है कि वो सौ फीसदी शुद्ध है. साल 2007 में एक सार्वजनिक सभा में PepsiCo के सीईओ ने कह दिया था कि उनका एक ब्रांड एक्वाफिना और कुछ नहीं, बल्कि नल का पानी ही है. इसके बाद काफी बवाल भी हुआ जो वक्त के साथ ठंडा पड़ गया.
हमारे देश के हालात भी कुछ अच्छे नहीं है. 2014-15 में भारत सरकार ने बोतलबंद पानी पर एक सर्वे किया, जिसमें 806 सैंपल लिए गए, जिनमें से आधे से ज्यादा सैंपलों की गुणवत्ता खराब थी. बाजार में कई तरह के बोतलबंद या प्रोसेस्ड पानी मिल रहा है. इन्हें तीन श्रेणियों में रखा जा सकता है.
प्यूरिफाइड पानी-
ये नल का पानी होता है जो कई प्रक्रियाओं से गुजारकर शुद्ध किया जाता है. इसमें कार्बन फिल्ट्रेशन और रिवर्स ऑसमोसिस दोनों ही शामिल हैं. हालांकि इस प्रक्रिया में ज्यादातर मिनरल्स निकल जाते हैं.
डिस्टिल्ड पानी-
इसमें भी ज्यादातर मिनरल्स निकल जाते हैं. छोटे अप्लायंसेस में इस्तेमाल के लिए ये बेहतर होते हैं.
स्प्रिंग वॉटर-
कोई भी पानी, चाहे वो ट्रीटेड हो या न हो, स्प्रिंग वॉटर की श्रेणी में आता है. नेचुरल रिर्सोसेज डिफेंस काउंसिल के अनुसार इसमें भी मिनरल्स की कमी और कई दिक्कतें कॉमन हैं. प्यूरिफाइड और डिस्टिल्ड वॉटर सुनकर भले ही लगे कि पानी का सबसे सेहतमंद और शुद्ध रूप है लेकिन जरूरी नहीं कि ये सच हो.
कुल मिलाकर सच्चाई ये है कि जिसे शुद्ध मानकर हम पैसे खर्च करके पी रहे हैं, उस पानी की शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है.