कुछ दिनों पहले भोपाल में विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन हुआ था.
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था वो उसी प्रदेश से ताल्लुक रखते है जहां गुजराती ज्यादा बोली जाती है. ऐसे में वो सोचते है कि अगर वो हिन्दी नहीं जानते तो क्या होता. जब वो चाय बेचा करते थे तब उन्होने हिन्दी सीखी. उन्होने बॉलीवुड का भी जिक्र किया और कहा कि फ़िल्म इंडस्ट्री ने हिन्दी भाषा का प्रचार प्रसार यूरोप और एशिया के कई देशों में किया है.
मोदी की बयान से साफ है कि अगर चाह हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है. जब वो एक गैर हिन्दी प्रदेश से संबंध रखने और चाय बेचने का काम करने के साथ हिन्दी सीख सकते है. तो अच्छे संस्थानों में शिक्षा लेने वाले फ़िल्म स्टार क्यों ये काम नहीं कर सकते है. आज दफ्तारों से लेकर शिक्षण संस्थानों में अंग्रेजी भाषा का बोलबाला है. अंग्रेजी महानगरीय संस्कृति में रच बस सी गई है.
बात अगर बॉलीवुड की जाए तो हिन्दी भाषा का ही प्रभुत्व है.
हिन्दी फ़िल्में सिर्फ भारतीय दर्शकों तक ही सीमित नहीं है बल्की पश्चिमी देशों में जहां भारतीय मूल के लोग रहते है वहां भी मुनाफे का फायदा साबित हो रही है. कुछ फ़िल्में तो एन आर आई दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है ऐसे में साबित होता है कि हिन्दी भी एक वैश्विक भाषा बनती जा रही है.
हिन्दी के बढ़ते दखल के बावजूद चौंकाने वाली बात है कि जिस हिन्दी भाषा के संवादों की बदौलत बॉलीवुड स्टार नाम और शोहरत कमाते है, उनकी फ़िल्में दर्शकों की तालियां बटोरती है उसी हिन्दी को बोलने से बॉलीवुड स्टार्स कतराते है. हिन्दी ना बोलने के लिए कई वजह भी बताई जाती है जैसे कि अलग अलग प्रदेशों से अपना भाग्य आजमाने के लिए युवा मुंबई का रुख करते है. जिन प्रदेशों से वो ताल्लुक रखते है वहां की मातृभाषा हिन्दी नहीं होती है. इस तर्क के बावजूद बड़ा सवाल ये उठता है कि भाषाई विविधता के बावजूद भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी है ऐसे में क्या हिन्दी भाषा की उपेक्षा किया जाना ठीक है.
क्या कम से कम कामचलाउ हिन्दी लिख और बोल पाना भी बॉलीवुड स्टार्स के बस की बात नहीं. बॉलीवुड के कई स्टार्स की ये मांग होती है उन्हे हिन्दी के डॉयलॉग भी इंग्लिश फॉन्ट के साथ लिखे हुए मिलना चाहिए. बॉलीवुड में देवनागरी भाषा के बजाए इंग्लिश भाषा का प्रयोग ही फांट के तौर पर किया जाता रहा है.
ये ट्रेंड बॉलीवुड में काफी पुराना है. एक अंग्रेजी अखबार को दिए गए इंटरव्यू के मुताबिक नामी गीतकार गुलजार की माने तो “ अंग्रेजी भाषा में लिखने का चलन नया नहीं है. ये काफी पहले से ही प्रचलित है”
वो खुद भी इंग्लिश में स्क्रिप्ट लिख चुके है. बकौल गुलजार “हां, पटकथा का अनुवाद अंग्रेजी भाषा में करना पड़ता था उन स्टार्स के लिए जो दक्षिण भारत से ताल्लुक रखती थी जैसे वैजयंती माला और वहीदा रहमान”
कैटरीना कैफ समेत कई ऐसी सितारे है जिनकी पढ़ाई लिखाई भारत में नहीं हुई है ऐसे में हिन्दी ठीक से ना बोल पाना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन जो सितारे भारत में पले बढ़े है उनका ये तर्क देना बहुत ही शर्मनाक है.
स्क्रिप्ट की बात छोड़े तो ये सितारे पुरुस्कार समारोह और इंटरव्यू के दौरान हिन्दी भाषा में पूछे गए सवालों का जवाब भी अंग्रेजी में देना पसंद करते है.
बॉलीवुड सेलिब्रिटीज पब्लिक फिगर होती है उनके फ़ैन्स उनका अनुसरण करते है ऐसे में बॉलीवुड सेलिब्रिटीज की भी जिम्मेदारी बनती है कि जिस हिन्दी भाषा की वजह से वो आम से खास इंसान बने है उसको आगे बढ़ाने की कोशिश तो उन्हे करनी चाहिए.
अमिताभ बच्चन जैसे स्टार अपनी बेहतरीन संवाद शैली और हिन्दी की बदौलत वजह से सदी के महानायक का खिताब पा चुके है.
सही तरह से हिन्दी ना बोल पाने की वजह से कभी कभी चेहरे के भाव भी ठीक से उभरकर नहीं आ पाते है. बकौल स्व देवानंद उनके जमाने की स्टार जीनत अमान को भी यही समस्या थी. ठीक तरह से हिन्दी ना बोल पाने की वजह से इसका सीधा सीधा असर उनकी एक्टिंग पर पड़ता था
हिन्दी भाषा को आगे बढ़ाने के लिए पहल बॉलीवुड सितारों को ही करनी पड़ेगी जरुरत तो बस थोड़ा सा वक्त देने की. आखिर एक भारतीय होने के नाते उनका ये फर्ज भी तो बनता है.
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