बोहरा मुस्लिम समुदाय में लड़कियों का खतना करने की दर्दनाक प्रथा सदियों से चली आ रही है. समय-समय पर इसका विरोध भी हुआ है, मगर कोई फायदा नहीं, अभी तक ये प्रथा बंद नहीं हुई है.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की गई, जिसपर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनावाई करेगा.
बोहरा मुस्लिम समुदाय में लड़कियों का खतना की प्रथा पर कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि बच्चियों के साथ ऐसा करना पोक्सो एक्ट के उल्लंघन का मामला हो सकता है. कोर्ट ने लड़कियों के प्राइवेट पार्ट को छूने को ही गलत माना. इस सिलसिले में कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी राय मांगी है.
रिति-रिवाजों के नाम पर मुस्लिम समुदाय लड़कियों से साथ ये क्रूर व्यवहार करता है. आपको बता दें कि अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और 27 अफ्रीकी देशों में इस प्रथा पर रोक लगी हुई है.
मामला मुस्लिम समुदाय से जुड़ा होने की वजह से अक्सर राजनीतिक पार्टियां ऐसे मुद्दों से दूर रहती है, क्योंकि इससे उनका वोट बैंक बिगड़ सकता है. खतना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में वकील सुनिता तिवारी ने याचिका दाखिल की है. जिसमें इस प्रथा को सम्मान से जीने के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन बताया गया है.
बोहरा मुस्लिम समुदाय में लड़कियों का खतना –
क्या होता है लड़कियों का खतना?
लड़कियों के खतना का रिवाज सिर्फ बोहरा मुसलमानों के बीच है. जब लड़की बहुत छोटी होती है तो खतने को अंजाम दिया जाता है. अधिकतर मौकों पर छह-सात साल की छोटी उम्र में ही खतना किया जाता है. इसके तहत लड़की के जननांग के बाहरी हिस्से यानि क्लिटरिस को काट दिया जाता है या बाहरी त्वचा निकाल दी जाती है. इस दौरान बच्चियों को काफी तकलीफ होती है क्योंकि खतना से पहले एनीस्थीसिया भी नहीं दिया जाता. पारंपरिक तौर पर इसके लिए ब्लेड या चाकू का इस्तेमाल किया जाता है. कई बार इस क्रूर तरीके में बच्चियों की मौत तक हो जाती या फिर वो हफ्तों दर्द से कराहती रहती हैं. मगर परंपरा के नाम पर उनके साथ ये घिनौनी हरकत की जाती है और इसे रोकना वाले कोई नहीं है.
भारत में बोहरा मुसलमानों की आबादी पश्चिम और दक्षिण भारत में है. इनकी आबादी गुजरात और महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा है.
राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी इनकी कुछ आबादी है. इनकी आबादी भारत के बाहर अरब देशों और यूरोप में हैं. भारत में इनकी कुल आबादी महज़ 10 लाख है. हैरानी की बात तो ये है कि ये लोग पढ़े-लिख और आर्थिक तौर पर काफी समृद्ध और मजबूत समुदाय है, बावजूद इसके ऐसी दकियानूसी प्रथा को अब तक मानते हैं. यदि कोई बोहरा मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बोलता है तो उसे अपने समाज में अलग-थलग पड़ने का डर रहता है इसलिए खतना के खिलाफ बोहरा समाज से आवाज़ नहीं उठ पाती.
बोहरा मुस्लिम समुदाय में लड़कियों का खतना – इस क्रूरता को खत्म करने के लिए जल्द ही कोई कानून बनाया जाना चाहिए, जैसे बाल विवाह और सति प्रथा के लिए बने थे.