मज़ेदार

भारत में क्यों पैदा नहीं होते नीली आंखों के लोग

जब कभी विदेशों से लोग भारत घूमने आते हैं तो यहां के लोग उनकी गोरी चमड़ी और नीली आंखें देखकर उनकी तरफ बहुत आकर्षित होते हैं।

देखा जाए जो भारत में करोड़ों की आबादी रहती है लेकिन इनमे सें महज़ चंद लोगों की ही आंखें नीली होंगीं जबकि विदेशों यानि अमेरिका जैसे देशों में ज्‍यादातर लोगों की आंखें नीली ही होती हैं।

आप भी सोचते होंगें कि आखिर ऐसा कैसे होता है कि एक देश के सभी लोगों की नीली आंखें और भारत में सबका रंग-रूप अमूमन एक जैसा।

आज हम आपकी इस जिज्ञासा को शांत करने वाले हैं कि अमेरिका जैसे देशों में नीली आंखों के लोग और भारत में काली और भूरी आंखों के लोग क्‍यों होते हैं।

आपको बता दें कि ये सब खेल प्रकृति और जलवायु का है।

अमेरिका जैसे देशों में ठंड बहुत रहती है और इसीलिए वहां के लोगों का रंग बहुत गोरा होता है और इसका असर शायद उनकी आंखों के रंग पर भी पड़ता है। जिस तरह इन देशों में सबकी आंखें नीली और रंग गोरा होता है वैसे ही भारत में अमूमन सबका रंग गेहुंआ और आंखें काली होती हैं।

इसे आप देश के तापमान और जलवायु से भी जोड़कर देख सकते हैं। इसके अलावा हमारे पूर्वजों की आंखों का जो रंग था वही हमें भी मिला। हो सकता है कि अमेरिका में रहने वाले लोगों के पूर्वजों की आंखों का रंग नीला हो जो विरासत में उन्‍हें मिल गया।

अब तो आपको समझ आ ही गया होगा कि भारत में नीली आंखों वाले लोग इतने कम क्‍यों होते हैं।

अब बात करते हैं आंखों की, आप भी जानते हैं और इस बात को हम भी अच्‍छी तरह से समझते हैं कि आंखें कितनी अनमोल होती हैं। अगर आपमें ये आदतें हैं तो आपकी आंखों की रोशनी जा सकती है।

लेटकर टीवी देखना

घंटों तक लेटकर टीवी देखने की वजह से भी आंखें कमजोर हो सकती हैं। टीवी से निकलने वाली हानिकारक किरणें आंखों की रोशनी को कम कर देती हैं इसलिए लेटकर टीवी देखने की अपनी आदत को अभी बदल दें।

ज्‍याद देर तक धूप में रहने से

ऐसा माना जाता है कि सूर्य की हानिकारक किरणें आंखों की कोर्निया को जला सकती हैं और इसकी वजह से आंखों की रोशनी तक जा सकती है। सूरज की किरणों के सीधे संपर्क में नहीं आना चाहिए। धूप में निकलते समय आंखों पर सनग्‍लासेस जरूर लगाएं।

मोबाइल का ज्‍यादा इस्‍तेमाल

टेक्‍नोलॉजी का सबसे बुरा असर आंखों पर पड़ा है। दिनभर मोबाइल में व्‍यस्‍त रहना सिरदर्द और आंखों में दर्द का कारण बन रहा है। लगातार मोबाइल यूज़ करने से उसकी स्‍क्रीन से निकलने वाली इलेक्‍ट्रेसमैग्‍नेटिक किरणें आंखों के रेटिना और कोर्निया को नुकसान पहुंचाती हैं।

दोस्‍तों, नीली आंखें हों या काली दोनों ही बहुत अनमोल होती हैं इसलिए इनका ख्‍याल रखना आप कतई नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते हैं। चाहे जो हो जाए आपको अपनी आंखों का पूरा ख्‍याल रखना बहुत जरूरी है और ऊपर बताई गई आदतों से भी खुद को दूर रखना है ताकि आपकी आंखें स्‍वस्‍थ और सुंदर रह सकें।

Parul Rohtagi

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Parul Rohtagi

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