जम्मू कश्मीर – चैन और अमन के साथ जीवन बिताने का सपना हर नागरिक का होता है.
सब ये सोचते हैं कि उनके जीवन में शांति रहे. उनका परिवार खुशहाल रहे और उन्हें किसी तरह की दिक्कत न हो. लेकिन ये संभव नहीं हो पाता. असल में हर किसी के जीवन में ये संभव नहीं है.
देश का हर प्रदेश लगभग शांति में जी लेता है, लेकिन एक प्रदेश ऐसा है जो हमेशा खतरे के साए में जीवन जीता है.
इस प्रदेश के लोगों को पता नहीं होता कि कब गोली चल जाएगी.
कब उनका कोई अपना मौत के मुंह में समां जाएगा. उन्हें इस बात का भी एहसास नहीं रहता कि उनके ही घर में कोई घुसकर उन्हें ही गोलियों से भून देता है. रात में नींद तो ज़रूर आती है यहाँ के लोगों को लेकिन चैन की नींद नहीं.
वो एक ऐसी नींद होती है, जो खौफ के साए में बीतती है.
वैसे तो प्रकृति इस प्रदेश पर मेहरबान है, लेकिन प्रकृति की खूबसूरती को इंसान हैवान बनकर बिगाड़ रहे हैं.
यहाँ हर दिन खून की होली खेली जाती है. इस प्रदेश का नाम है जम्मू कश्मीर, कश्मीर घाटी. साल 2018 जम्मू कश्मीर के लिए खूनी साबित होता जा रहा है. महज दो महीनों में हुए आतंकी हमलों में 10 से ज्यादा सुरक्षाबलों की मौत हो गई है. वहीं 2 नागरिकों के मारे जाने की रिपोर्ट है. इसी बीच 10 से ज्यादा आतंकियों को भी ढेर किया गया. यहाँ हर दिन लोग खौफ में बिताते हैं.
उन्हें अपने दिन की रात और रात की अगली सुबह की जानकारी नहीं होती.
सबसे बड़ी बात ये है कि यहाँ के लोग ही खुद ही इसके लिए ज़िम्मेदार हैं.
साल 2010 में 54 युवा आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए. तब से ये संख्या बढती ही जा रही है. अपनी आज़ादी की मांग करने वाले यहाँ के युवा अपने साथ साथ अपने लोगों की जिंदगी भी नरक बना रहे हैं. आतंकवादी किसी के नहीं होते. ये इन लोगों को पता है, फिर भी इन्हें अपने घर में पनाह देते हैं और नतीजा दुनिया के सामने है.
पूरी दुनिया को पता है कि इस खूबसूरत प्रदेश जम्मू कश्मीर में कितने गंदे लोग निवास करते हैं.
ऐसे लोग जो हर दिन खून की होली खेलते हैं.
अपनों के साथ वो ये होली खेलते हैं. एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में पिछले 4 साल के आंकड़े परेशान करने वाले हैं. साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल (SATP) के आंकड़ों के मुताबिक, 2014 से 2017 के बीच सबसे ज्यादा नागरिकों ने 2017 में अपनी जान गंवाई. यही हाल सुरक्षाबलों के शहीद होने का भी रहा है. जहां 2017 में आतंकी घटनाओं में 57 नागरिकों ने अपनी जान गंवाई, वहीं 218 जवानों ने शहादत हासिल की है.
यहाँ के हालात दिन बा दिन बुरे ही होते जा रहे हैं. न तो लोग सुधर रहे हैं और न ही हालात.
यहाँ की सरकार भी इस बात को लेकर चिंतित है, लेकिन इसके लिए वो किसी तरह का काम नहीं कर रही है.
कश्मीर घाटी में साल 2017 में 126 स्थानीय युवा आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए. साल 2015 में 66, साल 2016 में 88 और साल 2017 में 126 युवा आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए. इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आगे इस प्रदेश का क्या हश्र होगा. यहाँ की आने वाली पीढ़ी किस खौफ में जिएगी इसका अंदाज़ा आप लगा सकते हैं.
खून, खौफ और मौत के साए में जीने वाले इस प्रदेश की हालत को सुधारने की ज़रुरत है. वरना आने वाला समय बहुत ही खौफनाक होगा.