खून चुसवा गैंग – साल 2001 में दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में मंकीमैंन का जलवा कुछ महीनों तक था.
वो रात में छत पर या गली में अचानक प्रकट हो जाता था और लोगों को नोच कर भाग जाता था. पीड़ित व्यक्ति, घटना के बाद लोगों को जख्म दिखाता और सब दहशत में आ जाते. लोग डर के कारण रातभर सो नहीं पाते और जागते रहो चिल्ला कर पहरा देते. यह सब कुछ महीनो तक चला पर मंकीमैंन नहीं पकड़ा गया.
कुछ महीनों बाद मंकीमैन अपने आप गायब हो गया.
इसके बाद 2002 में मुहं नुचवा का उत्तर भारत के ग्रामीण इलाको में पाए जाने की अफवाह उड़ी, जो लोगों का मुहं नोचकर भाग जाता था. किसी ने उसे रोबोट बताया तो किसी ने एलियन बताया. वह बरसात के मौसम में आया और दर्जनों का मुंह नोच कर गायब हो गया. फिर पिछले साल यानि कि 2017 में चोटी कटवा गैंग सामने आया, जिसने महिलाओं की चोटी काटना शुरु कर दिया. लेकिन करीब 6 माह बाद ये गैंग भी गायब हो गया. इस बार भी एक गैंग का नाम सामने आया है, जिसका कहर उत्तर भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में बरपा है इस गैंग का नाम है ‘खून चुसवा गैंग.’
खून चुसवा गैंग आया सामने
जी हां, खून चुसवा गैंग – ये गैंग लोगों का खून चूसता है और इसे बेचता है. यह गैंग कोई कीड़ा, मच्छर या बिल्ली नहीं है बल्कि ये गैंग है खून का गोरखधंधा करने वालों का. इस गैंग का काम युवाओं और बच्चों का खून निकालकर उसे अच्छे दामों में सप्लाई करना है. इस गंभीर मामले में पुलिस ने बस्ती जिले से खून का सौदा करने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया है. और उनके गैंग के बारे में पूछताछ की जा रही है.
खून चुसवा गैंग युवाओं और बच्चों का बनाता है शिकार
दरअसल, उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में कुछ दिनों से स्थानीय लोगों के बीच दहशत का माहौल बना हुआ है. क्योंकि कुछ दिनों से इलाके में खून चुसवा गैंग का आतंक फैला हुआ है. यह खून चुसवा गैंग केवल युवाओं और बच्चों को अपना शिकार बनाता है. उन्हे पैसे और काम का लालच देकर बहलाकर फुसलाकर ले जाता है और नशीला पदार्थ खिलाकर खून निकाल लेता है और होश आने पर 500 रुपये देकर मामला रफा-दफा कर देता है. यह घटना एक या दो के साथ नहीं बल्कि गांव के दर्जनभर युवाओं और बच्चों के साथ घट चुकी है. इससे तंग आकर ग्रामीणों ने पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है. पुलिस ने गैंग के दो सदस्य आकाश और डॉक्टर प्रभाकर को गिरफ्तार कर लिया है.
खून का गोरखधंधा करने वाले दो लोग गिरफ्तार
पुलिस ने जानकारी दी कि नेपाल का रहने वाला नाबालिग युवक आकाश बच्चों और युवाओं के बहला फुसलाकर ले जाता था और डॉक्टर प्रभाकर उनका खून निकालने का काम करता था. आकाश उनसे मजदूरी का काम करने को बोलकर गांव से थोड़ी दूरी पर ले जाता था और उन्हें पानी में मिलाकर कुछ पिला देता था जिससे वे लोग बेहोश हो जाते थे.
साथ ही गरीबी झेल रहे बच्चों को अक्सर ये गैंग अपना शिकार बनाता था. जब युवाओं और बच्चों को कमजोरी महसूस होती थी तब उन्हें पता चलता था कि उनके शरीर से खून निकाला गया है. डॉक्टर प्रभाकर की एक क्लीनिक भी है जहां पर यह गोरखधंधा होता है. होश आने पर डॉक्टर 500 रुपये देकर टेम्पो से उन्हें घर भेज देता था. काफी सालों से यह ‘खून चुसवा गैंग’ सक्रिय था और रेहरवां गांव ही नहीं पूरे जनपद में ये लोग अपना गोरखधंधा चला रहे थे.
ब्लड बैंक में बेचते थे खून
खून चुसवा गैंग – पुलिस के मुताबिक बच्चों को फुसलाना आसान होता है. साथ ही उनके बीमार होने की संभावना भी कम होती है. इस गिरोह के दोनों सदस्य शहर के अलग-अलग ब्लड बैंकों में खून को 4500 रुपये में सप्लाई करते थे. फिलहाल पुलिस अब गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में लग गई है. खून का धंधा करने वाले आकाश और प्रभाकर के नेटवर्क को खंगाला जा रहा है. गिरोह के दोनों सदस्यों को लखनऊ से पूछताछ होने के बाद पुलिस रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है.