काले दिन – दुनिया भले ही कितना भी तकनीकी विकास कर ले और साइंस अपने कारनामों को कितनी भी शाबाशी दे ले लेकिन प्रकृति के आगे दोनों को ही घुटने टेकने पड़ते हैं।
जी हां, आपने भी कई बार ऐसे प्राकृतिक हादसे देखे होंगें जिनमें प्रकृति के आगे हर कोई बेबस नज़र आता है।
भारत के इतिहास में भी ऐसे कई काले दिन आए हैं जिनमें उसे दर्दनाक हादसों का शिकार होना बड़ा। इनमें जान-माल की हानि भी हुई और ये देश के इतिहास में बस गए।
आज हम आपको भारत के कुछ ऐसे प्राकृतिक हादसों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें काला दिन घोषित कर दिया गया।
अकाल का दौर
जी हां, आप सोच भी नहीं सकते कि हमारे देश में भी अकाल की स्थित भी आई होगी। अब तो नहीं लेकिन ये बात 1876 से 1878 तक की है। इस दौरान अकाल की वजह से 3 करोड़ से भी ज्यादा लोग मौत के काल में समा गए थे। सबसे पहले इस काल की शुरुआत चीन में हुई थी और फिर ये वहां से चलते हुए भारत आ गया। भारत के इतिहास की सबसे भयंकर प्राकृतिक आपदाओं में इसे भी शामिल किया जाता है।
हिंद महासागर में आई सुनामी
साल 2004 में एक तीव्र भूकंप के बाद हिंद महासागर में विनाशकारी सुनामी आई जिसने दक्षिण भारत के हिस्सों को तबाह कर दिया। इंडमान निकोबार, श्रीलंका, इंडोनशिया जैसे देश प्रभावित हुए। यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा भूकंप था जिसकी क्षमता हिरोशिमा में डाले गए बमों के प्रकार के 23000 परमाणु बमों की ऊर्जा के बराबर थी जिसमें 2 लाख से भी ज्यादा लोग मारे गए थे।
उत्तराखंड में बाढ़
साल 2013 में आई बाढ़ तो हर भारतीय को याद होगी।
इसमें ना केवल उत्तराखंड के स्थानीय लोग मारे गए थे बल्कि देशभर से केदारनाथ के दर्शन को पहुंचे श्रद्धालु मारे गए थे। बादल फटने के कारण गंगा नदी उफान पर आ गई थी और इस वजह से गोविंदघाट, केदारधाम, रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी नेपाल जैसी कई जगहों पर भारी बाढ़ आई थी जिसमें 5000 लोग मारे गए थे। इस हादसे में कई लोग लापता हो गए। ये घटना इतनी भयावह थी कि इसमें मानवता भी बहुत शर्मसार हुई।
जिंदा बचे हुए लोग मरी हुई लाशों के जेवर उतार-उतार कर ले जा रहे थे और पांच रुपए का बिस्कुट भी उस समय पांच हज़ार रुपए में बिक रहा था। उत्तराखंड में आई उस बाढ़ को विनाश का दिन कहा जाता है।
गुजरात में आया भूकंप
गुजरात में जिस दिन भयंकर भूकंप आया उस दिन देश में 51वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा था। साल 2001 में 26 जनवरी के दिन परेड करते हुए ही भूकंप आ गया और परेड निकालते हुए बच्चे उसमें मर गए। इस भूकंप ने 20 हजार लोगों की जान ली थी। इसमें 167000 लोग घायल हुए थे और लगभग 400000 लोग बेघर हो गए थे। 2 मिनट तक आए इस भूकंप की तीव्रता 7.6 से 7.9 थी।
उड़ीसा में चक्रवात का विनाश
आज इतने तीव्र चक्रवात नहीं आते जिससे बहुत ज्यादा नुकसान हो लेकिन 1999 में उड़ीसा में ऐसा चक्रवात आया था कि इसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस तूफानी चक्रवात को पांचवी के रूप में जाना जाता है। इसमें 10 हज़ार से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और 275 हज़ार से ज्यादा घर टूट गए थे। 912 एंबी के चरम की तीव्रता से आया ये चक्रवात कई लोगों को बेघर कर गया था। इसे उत्तर भारतीय बेसिन का सबसे मजबूत उष्णकटिबंधीय चक्रवात कहा जाता है।
भारत के ये पांच काले दिन हर भारतीय को पता होने चाहिए।
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…
दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…
सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…
कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…
दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…
वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…