आज भी दुनिया में ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं है जो सिर्फ गोरे रंग को ही किसी की सुंदरता का सबसे बड़ा पैमाना मानते हैं. आमतौर पर लोग किसी के गोरे रंग और अच्छे नैन नक्श को ही सुंदरता की परिभाषा से जोड़कर देखते हैं.
आज भी यही मानकर चला जाता है कि जो गोरा है वही सुंदर है. लेकिन ये किस हद तक सही है? कहा जाता है कि ईश्वर की हर रचना अपने आप में सुंदर होती है और ईश्वर ने ही इंसानों को गोरा या काला बनाया है, ऐसे में गोरे और काले रंग को लेकर भेदभाव करना क्या उचित है?
अगर आप भी यही सोचते हैं कि जो गोरा है वही सुंदर है तो आपका यह भ्रम पल भर में टूट जाएगा क्योंकि हम आपको ईश्वर की एक ऐसी रचना से रूबरू कराने जा रहे हैं जिसे काले रंग की वजह से कभी धुतकारा जाता था लेकिन उसने ये साबित कर दिया कि खूबसूरती गोरे रंग की मोहताज बिल्कुल भी नहीं होती है.
1- क्वीन ऑफ डार्क ने बदली सुंदरता की परिभाषा
क्वीन ऑफ डार्क का खिताब अपने नाम करनेवाली न्याकिम गैटवेच ने ये साबित किया है कि खूबसूरती गोरे रंग की मोहताज नहीं है और काला होना कोई अभिशाप नहीं. आपको बता दें कि न्याकिम को यह खिताब किसी और ने नहीं बल्कि इंटरनेट की इसी दुनिया ने दिया है.
2- इंटरनेट ने बना दिया क्वीन ऑफ डार्क
दक्षिणी सुडान की मॉडल न्याकिम गैटवेच को अपने रंग पर बेहद नाज है और उनका मानना है कि काला होना कोई अभिशाप नहीं है. न्याकिम अपने इसी डार्क स्किन के जरिए दुनियाभर में मशहूर हो गई है और इंटरनेट पर धूम मचा रखी है.
3- काला रंग है ऊपरवाले की देन
क्वीन ऑफ डार्क कही जानेवाली न्याकिम का मानना है कि रंग-रुप अगर ऊपरवाले की देन है तो फिर जो मिला है उसे एक उपलब्धि मानकर उसका सम्मान करना चाहिए और यही वजह है कि न्याकिम को अपने काले रंग से नफरत नहीं बल्कि प्यार है.
4- काले रंग से है बेहद प्यार
इंटरनेट की दुनिया में तहलका मचानेवाली न्याकिम अपने शरीर के काले रंग को भगवान का दिया हुआ वरदान मानती हैं और भगवान द्वारा दिए गए इस रंग से बेहद प्यार भी करती हैं.
5- मिलती है सकारात्मक ऊर्जा
न्याकिम का मानना है कि उनके शरीर का यह डार्क रंग उनके लिए बेहद लकी है और उन्हें अपने शरीर के इस काले रंग से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है.
6- लोगों ने कई बार किया तिरस्कार
न्याकिम का कहना है कि उनके जीवन में कई ऐसे मौके आए जब काले रंग की वजह से उन्हें लोगों के तिरस्कार का सामना करना पड़ा. लोग उन्हें बदसूरत कहकर धुतकारा करते थे. लोगों के इस तिरस्कार के चलते उन्होंने कई बार अपने स्किन कलर को ब्लिच कराने के बारे में सोचा.
7- बदसूरत कहकर अपमान करते थे लोग
न्याकिम को डार्क कलर के चलते लोग बदसूरत मानते थे जो उनके लिए किसी बुरे अनुभव से कम नहीं था. लेकिन बाद में न्याकिम अपने इसी डार्क रंग के साथ सकारात्मक सोच को लिए आगे बढ़ी और बन गई क्वीन ऑफ डार्क.
8- यूएस में झेलनी पड़ी आलोचना
बताया जाता है कि जब न्याकिम मॉडलिंग के लिए यूएस आईं तब उन्हें रंग को लेकर काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आगे बढ़ती गईं, जिसका नतीजा यह हुआ कि आज मॉडलिंग की दुनिया में सुडान की इस मॉडल की खूब चर्चा हो रही है.
गौरतलब है कि न्याकिम ने कभी भी काले रंग के चलते अपने कदम पीछे नहीं हटाए वो आगे बढ़ती गईं और आज क्वीन ऑफ डार्क बनकर उन्होंने ये साबित कर दिया है कि किसी की खूबसूरती गोरे रंग की मोहताज बिल्कुल भी नहीं है.
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