गुजरात को अभी तक भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता था किन्तु अब ऐसा लगने लगा है कि गुजरात के अन्दर बीजेपी अपनी जड़े कमजोर कर रही है.
जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात से दिल्ली आने वाले थे तो इन्होनें यहाँ की जनता के साथ वादा किया था कि वह गुजरात का ध्यान खुद रखेंगे लेकिन अब गुजरात विकास की जगह पतन की ओर नजर आ रहा है.
जमीनी सच्चाई यह है कि अब लोगों को समझ ही नहीं आ रहा है कि आखिर किया क्या जाये क्योकि सूबे में विकास की योजनाओं की तरफ किसी का ध्यान ही नहीं है. जब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो लगातार नई कम्पनियां यहाँ निवेश कर रही थीं और लोगों को नये रोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे थे किन्तु पिछले कुछ समय से राज्य का मुख्यमंत्री कुछ भी नया करने की स्थिति में नहीं है.
बीजेपी का विरोध अब सामने भी आने लगा है.
अमित शाह के साथ ऐसा होगा, किसी ने यह सोचा नहीं था
अमित शाह शुरुआत से ही हिंदुत्व का एक बड़ा चेहरा रहे हैं.
केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी थी तभी से अमित शाह का कद पार्टी के अन्दर काफी बढ़ गया था. लेकिन अचानक से ही गुजरात के अंदर सूरत की सभा में जिस तरह से अमित शाह का विरोध हुआ है वह चिंता का विषय है. असल में यह रैली तो यह साबित करने के लिए की गयी थी कि राज्य में पटेल समुदाय का पार्टी को समर्थन प्राप्त है. जिस तरह आनंदीबेन पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया है और विजय रूपाणी को पद दिया गया है इस बात से जनता खफा है.
गुजरात का सर्वे जिसने उड़ाई नींद
जमीनी स्तर पर काम कर रहे संस्थानों ने अपनी रिपोर्ट देनी शुरू कर दी है.
प्रधानमन्त्री कार्यालय तक भी गुजरात का सर्वे आने लगा है कि राज्य में पार्टी की हालत अब खराब है. एक तरफ पटेल लोग नाराज हैं और वह आन्दोलन के द्वारा फिर से अपनी नाराजगी साबित कर सकते हैं और वहीं दूसरी तरफ जनता के पास अब बीजेपी पर विश्वास करने कोई चेहरा नहीं बचा है. सच है कि अभी चुनाव हो जाये तो बीजेपी की सरकार का बनना मुश्किल हो जायेगा.
कार्यकर्ता हैं नाराज
राज्य में जो लोग अभी तक बीजेपी के लिए लड़ रहे थे, उन लोगों का ध्यान रखने के लिए कोई नेता बीजेपी का राज्य में नहीं है. पार्टी में ऐसी फूट है अभी कि कुछ बड़े नेता को मोदी को हराने की तैयारी भी कर चुके हैं. असल में मुख्य समस्या मोदी के साथ नहीं बल्कि अमित शाह के साथ है. जिस तरह से यह नेता अब तानाशाह होता जा रहा है इसको लेकर नेता और कार्यकर्त्ता दोनों नाराज हैं. ऐसा गुजरात का सर्वे कहता है.
ज्ञात हो कि राज्य के विधानसभा चुनाव में कुल 182 सीटें हैं और अभी बीजेपी को कुछ 60 से भी कम सीटें प्राप्त होती सर्वे में दिख रही हैं. कुछ सर्वे तो इससे भी कम पर आ गये हैं. हिंदुत्व के नामपर पार्टी के ही लोग अब कुछ लोगों को उनकी हैसियत दिखाने की सोच रहे हैं.
ये है गुजरात का सर्वे – तो अब अगर गुजरात से इस तरह का सवें सामने आने लगे तो बीजेपी के साथ-साथ नरेन्द्र मोदी के पैरों से जमीन का खिसकना लाजमी ही है.
लेकिन सूरत घटना के बाद शायद बीजेपी की आँखें खुल जायेंगी, ऐसी उम्मीद भी की जा रही है.
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