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सिगरेट पर भाजपा के सांसद, दिलीप कुमार गाँधी का बयान, सभी हैरान!

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सिगरेट और तम्बाखू का सेवन सबके लिए हानिकारक है! यह बात दुनिया का बच्चा-बच्चा जानता है! नहीं जानता तो इस लेख द्वारा समझ जाएगा.

सिगरेट की वजह से कर्करोग होता है, मधुमेह (diabetes) होता है, फेफड़ों की ऐसी की तैसी हो जाती है, खर्च भी बढ़ जाता है और नपुंसकता भी होती है.

लेकिन हमारे देश के एक MP हैं, जिन्हें ऐसा बिलकुल नहीं लगता.

भाजपा के MP दिलीप कुमार गाँधी ने संसदीय पैनल में एक ऐसा बयान दिया जिससे यह बात सिद्ध हो जाती है कि दिलीप कुमार गाँधी जी के होश ठिकाने में नहीं हैं. उनका बयान था कि, ‘हमें बाहर के देशों में किये गए, सिगरेट के कारण हो रही कैंसर की बीमारी के सर्वेक्षण पर विश्वास नहीं करना चाहिए.’

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MP साहब, एक तरीके से सिगरेट से हो रही हानियों को छुपाने की कोशिश कर रहे हैं और भला ऐसा क्यों? जिस देश में एक तरफ हमारे सेंसर बोर्ड फिल्मों को धुम्रपान की चेतावनी के बिना रिलीज़ नहीं करते उसी देश में एक सांसद ऐसा बयान दे रहा है.

क्यों MP साहब? सही कहा ना?

मोदी जी! आप सुन रहे हैं? आपके MP कैसे-कैसे बयान दिन दहाड़े दिए जा रहे हैं?

दरअसल 1 अप्रैल से भारत में मिल रहे 85% सिगरेट के डब्बों पर चित्रीय चेतावनी देने का नियम  अनिवार्य होने वाला था और इस नियम को लागू करने की चर्चा के लिए एक संसदीय पैनल तैयार किया गया था, और दिलीप कुमार गाँधी इस संसदीय पैनल के मुख्य प्रवक्ता थे. लेकिन MP साहब के इस बयान से यह अर्जी ख़ारिज कर दी गई और इस नियम को लागू करने की तिथी और आगे बढ़ा दी गई है. अगर यह नियम लागू हो जाता तो भारत उन 5 देशों में शामिल हो जाता जहां ऐसा निर्णय लागू कर दिया गया है.

भारत में सालाना करीब 9,00,000 मौतें कर्करोग की बीमारी से होती हैं. ऐसा अनुमान लगाया गया है कि यह संख्या 2020 तक 15,00,000 तक पहुँच सकती है. अब भला यह बात MP दिलीप कुमार गाँधी को कैसे बताई जाए?

स्वास्थय मंत्री, जे पी नड्डा समेत भाजपा के अन्य सदस्यों ने भी दिलीप कुमार गांधी के इस बयान की निंदा की है.
और निंदा क्यों ना हो? देश के नेता ही जब ऐसा बयान देना शुरू कर देंगे तो भैय्या फिर तो भगवान ही मालिक है.

यह बेहद ज़रूरी है कि हम समझे कि सिगरेट सेवन कितना हानिकारक है. कम्पनियां डब्बों पर चेतावनी तो दे देती हैं लेकिन सिगरेट बेचती भी हैं. इस चित्रीय चेतावनी वाले नियम को लागू तो करना ही चाहिए लेकिन इसके अलावा और क्या-क्या किया जा सकता है, यह प्रकाशित होना ज़रूरी है.