पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव काफी कुछ तय करने वाले हैं.
उत्तराखंड, गोवा, उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनाव तो जैसे कई बड़े नेताओं के लिए परीक्षा की घड़ी है. सूत्रों की मानें तो देश की बड़ी पार्टी बीजेपी के लिए यह चुनाव तो साख की लड़ाई बन चुके हैं. बीजेपी को किसी भी तरह से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गोवा में अपना झंडा लहराना ही होगा.
संघ के कई बड़े नेताओं से बात कर यह बात निश्चित हो रहा है कि इन चुनावों में यदि बीजेपी को तीन मुख्य राज्यों में हार मिलती है तो उसके बाद बीजेपी के बड़े नेता का पद उनके हाथ से जाने वाला है.
बीजेपी के बड़े नेता अध्यक्ष अमित शाह जिसके लिए यह सबसे मुश्किल घड़ी है.
1986 में जब अमित शाह बीजेपी में शामिल हुए थे तभी से इनकी काबिलियत को सभी ने सराहा है. साल 1991 में जब अमित शाह गुजरात में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के लिए चुनाव प्रचार कर रहे थे तभी से इनके अच्छे दिन की शुरुआत भी हुई थी. लेकिन बिहार में पिछले विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी को हार मिली तो तब से अमित शाह कुछ लोगों की नजरों में हैं.
संघ के एक बड़े नेता का कहना है
असल में संघ के एक बड़े नेता का अमित शाह के लिए कहना है कि अभी अमित शाह तानाशाही की कार्यशैली में काम कर रहे हैं.
कई कार्यकर्ता और बीजेपी के बड़े नेता को नाराज करके अमित शाह खुद के लिए मुश्किलें खड़ी कर चुके हैं. उत्तर प्रदेश में 2014 के लोकसभा चुनाव में जब बीजेपी को 73 सीटें मिली थी तो यह जीत अमित शाह की बताई गयी थी लेकिन संघ के नेता यह जानते हैं कि केवल बीजेपी या मोदी के कारण यह जीत नहीं मिली थी. जिस तरह से संघ के कई रणनीतिकार यहाँ काम कर रहे थे और कार्यकर्ताओं के उत्साह ने तब प्रदेश में काफी मेहनत की थी.
इस लिहाज से अभी अमित शाह की साख और उनके कार्य करने की शैली पर कई संघी नेता शक कर रहे हैं.
कुलमिलाकर यह तो साफ है कि यदि इस विधानसभा चुनाव में अमित शाह उत्तर प्रदेश में जीत नहीं दिला पाते हैं तो बीजेपी अध्यक्ष के पद से अमित शाह को इस्तीफा दिलवाया जा सकता है. यदि संघ इस बार यह काम करेगा तो निश्चित रूप से अमित शाह के दोस्त नरेन्द्र मोदी भी कुछ ख़ास संघ के नेताओं को मना नहीं पायेंगे.
नवजोद सिंह सिद्धू ने जिस तरह से पार्टी छोड़ी है उसको लेकर भी कई संघ के नेता नाराज हैं.
सूत्रों से मिली खबरों के अनुसार आज भी संघ के कई बड़े नेताओं से नवजोद सिंह सिद्धू का मिलना हो रहा है. संघ के वरिष्ठ लोग मानते हैं कि सिद्धू के साथ गलत हुआ है.
अमित शाह के बाद अगर बीजेपी के बड़े नेता अपनी कार्यशैली के कारण संघ की नजर में है तो वह केशव प्रसाद मौर्य हैं.
इस समय उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष मौर्य हैं. बीजेपी के कई बड़े नेता इनसे नाराज हैं. अमित शाह से पहले अगर किसी नेता पर कार्यवाही होगी तो वह नेता केशव प्रसाद होंगे.
इसके बाद अजय भट्ट का नंबर सामने आ सकता है. अजय भट्ट इस समय उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष हैं.
वैसे सूत्रों की मानें तो श्याम जाजू के करीबी होने के कारण अजय भट्ट को जिम्मेदारी तो मिल गयी है किन्तु असफल होने पर इनको किनारे भी किया जा सकता है.
इस तरह से आगामी विधानसभा चुनाव में इन बड़े नेताओं पर सभी की नजर बनी हुई है. अमित शाह के यह सबसे मुश्किल घड़ी है और चुनाव के नतीजे ही इनका भविष्य तय करने वाले हैं.
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