नोटबंदी के बाद जल्द ही देश के पांच बड़े राज्यों में चुनाव होने वाले हैं.
अभी तक के सर्वे में मात्र दो जगह ही बीजेपी की स्थिति मजबूत दिख रही है. उतराखंड और गोवा के अंदर बीजेपी अच्छी स्थिति में नजर आ रही है. बीजेपी वैसे इस बार यूपी के चुनावों को हर हालत में जीतना चाहती है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि पार्टी यूपी को लेकर अब चिंतित मुद्रा में दिख रही है.
इस बार विधानसभा चुनावों में यदि बीजेपी उत्तर प्रदेश में हारती है तो यह हार बीजेपी से ज्यादा मोदी की हार मानी जाएगी.
यूपी इस समय मोदी की इज्जत का सवाल है.
इस समय बीजेपी उत्तर प्रदेश में सर्वे भी कुछ ख़ास नहीं बोल रहे हैं. पार्टी के अंदर भी कई जगह कलह की खबरें आ रही हैं.
तो आइये आज हम आपको बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में मोदी की हार के लिए कौन-से फैक्टर जिम्मेदार हो सकते हैं-
बीजेपी उत्तर प्रदेश में –
उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जो अपने मंत्री का चेहरा देखकर उसको वोट देता है. यहाँ ताकत और नाम दो बड़ी चीज होती हैं. आज सपा के पास मुख्यमंत्री बनने के लिए दो चेहरे हैं. अखिलेश और मुलायम सिंह यादव को यूपी की जनता दिल से चाहती है. लेकिन अब सबको पता है कि मोदी प्रधानमंत्री का पद छोड़ मुख्यमंत्री तो बनेंगे नहीं. ऐसे में बीजेपी को वोट देकर कोई फायदा नहीं होगा. यदि बीजेपी को जीता भी दो तो ना जाने कौन हमारा मुख्यमंत्री बनाया जायेगा.
यूपी के अंदर बीजेपी पार्टी में कई जगह कलह चल रही है. बीजेपी के उत्तर प्रदेश पार्टी अध्यक्ष को काफी लोग पसंद नहीं करते हैं. अभी हाल ही में गोरखपुर से बीजेपी के बड़े और कद्दावर नेता योगी आदित्यनाथ को बीजेपी ने चुनाव समिति में जगह ना देकर, कलह को बढ़ाने का काम किया है. योगी जी का नाम अभी यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में भी लिया जा रहा था लेकिन अब ऐसा लगने लगा है कि पार्टी एकता के दम पर यूपी जीतना नहीं चाहती है.
बीजेपी का इस समय ना जाने क्यों दलित लोगों की तरफ ध्यान कम है. बेशक दलित नेताओं को प्रमोट करके पार्टी ने यूपी की दलित जनता को कुछ सन्देश देने का चाहा है लेकिन इससे जनता के ऊपर कोई असर होता नहीं दिख रहा है. दलित जैसे इस बार बीजेपी से दूरियां बनाता हुआ नजर आ रहा है और जमीनी स्तर पर पार्टी भी इस वोट बैंक के लिए जरुरी कदम उठाती नजर नहीं आ रही है.
असल कहानी तो यह भी है कि जिस तरह के भाषण मोदी ने लोकसभा चुनावों में दिए थे अब उस तरह कि बातें मोदी नहीं कर पा रहे हैं. लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश का युवा मोदी की तरफ था. आज जब मोदी यूपी में भाषण देते हैं तो युवा उस जोश के साथ मोदी-मोदी नहीं कर रहा है. हर बार मोदी सिर्फ और सिर्फ नोट बंदी की बातें करते हुए नजर आ रहे हैं जबकि यूपी में परिवारवाद, कानून, नौकरियां, बेरोजगारी और महिला सुरक्षा बड़े मुद्दे बने हुए है.
लोकसभा चुनावों में बीजेपी की जीत का मुख्य कारण छोटे कार्यकर्ताओं का काम करना था. इस समय पार्टी के नेता बस लाल बत्ती की गाड़ी के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. किसी का भी ध्यान छोटे कार्यकर्ताओं पर नहीं है. जबकि यही लोग अपने क्षेत्र की जनता को पार्टी के मुद्दों के बारें में बताते हैं.
उत्तर प्रदेश की जनता शुरू से धार्मिक रही है. यहाँ के लोगों का एक सपना राम मंदिर भी है. सभी लोगों को लगता है कि बीजेपी अगर राम मंदिर बनाये तो उसको वोट देने का फायदा भी हो. लेकिन इस बार राम मंदिर बीजेपी के लिए कोई मुद्दा ही नहीं है. इसलिए जनता का ध्यान मोदी की तरफ कुछ ख़ास नहीं जा रहा है.
इस तरह बीजेपी उत्तर प्रदेश में डावाडोल लग रही है और हार के लिए यह 6 फेक्टर जिम्मेदार हो सकते हैं. जो सर्वे मीडिया पेश कर रहा है असल में वह सब गलत साबित हो सकते हैं और उत्तर प्रदेश की जनता मोदी को इस बार हकीकत से रूबरू करा सकती है.
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