एक हाथ ले, एक हाथ दे! बार्गेन का धंधा कॉलेज परिसर में खूब जम रहा है भाई!

देश में कॉलेजेस की क्या उपयोगिता है? उन्हें खोलने का उद्देश्य क्या है? आखिर कॉलेज हमें देते क्या हैं?

इन सभी का एक ही जवाब है: शिक्षा!

लेकिन क्या आजकल के कॉलेजेस में शिक्षा दी जा रही है या कुछ और? सच्चाई थोड़ी कड़वी है और गले से नीचे उतारने में दिक्कत भी देगी पर उस से आँखें फेर लेना भी कोई उपाय नहीं है!

कड़वा सच यही है कि कॉलेज, आने वाली पीढ़ी को पढ़ाई-लिखाई में कितना एक्सपर्ट बना रहे हैं इसका पता नहीं लेकिन गलत धंधों में बिलकुल सही ट्रेनिंग दी जा रही है| हर चीज़ का मोल लगता है, हर चीज़ की हेरा-फेरी होती है, इस हाथ दे-उस हाथ ले का नियम कूट-कूट कर बच्चों के दिमाग में शुरुआत से ही डाल दिया जाता है| और इस तरह बार्गेन का धंधा कॉलेज परिसर में खूब जम रहा है!

चलिए कुछ उदहारण देकर आपको समझाएँ:

1) समझ लीजिये कि कुछ बच्चे पढ़ाई की बजाये लफंटरगिरी ज़्यादा करते हैं पर उन्हें फ़ेल होने का डर बिलकुल नहीं है| वो जानते हैं कि अध्यापकों को खिला-पिला कर, रिश्वत का सहारा लेकर पेपर लीक हो जाएँगे और फिर पास होना कौन-सी मुश्किल बात है!

2) अगर फिर भी पास ना हुए तो भी कोई बड़ी बात नहीं| बड़े-बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट और राजनेताओं के बच्चों को इन छोटी-छोटी बातों की फ़िक्र नहीं होती क्योंकि वो जानते हैं कि उनके माँ-बाप अपने पैसे के बल पर सारे कॉलेज के प्रशासन को खरीद सकते हैं और फिर अध्यापकों या प्रिंसिपल को कोई गिफ़्ट वगेरह देकर पासिंग मार्क्स लेना कौन सा मुश्किल काम है!

3) पढ़ाई के अलावा ड्रग्स का धंधा कॉलेजेस में धड़ल्ले से चलता है और सब जानते-बूझते भी इसे रोक पाने में नाकाम हैं| पैसा दीजिये, ड्रग्स मिलेंगी, जहाँ चाहे, जब चाहे मिलेंगी! ड्रग्स का आदान-प्रदान और भी कई कानूनी और गैरकानूनी काम निकलवाने के लिए किया जाता है बेधड़क हो कर!

4) लड़कियों के लिए भी कुछ मुश्किल नहीं है| पास होने के लिए अध्यापकों पर डोरे डालना या उनकी कही बातों पर अमल करना आम-सी बात है| पढ़ाई के अलावा जो मर्ज़ी करवा लो, युवा पीढ़ी करने को तैयार है! अपने आप को बार्गेन कर लेती हैं लड़कियाँ बिना पढ़े नंबर ले कर पास हो जाने के लिए!

लेकिन क्या पुलिस या प्रशासन इन सब बातों से अनजान है?

जी नहीं! सब, सभी कुछ जानते हैं लेकिन सभी की हथेलियाँ गरम होती रहती हैं तो कोई भी इस गोरख धंधे को रोकने की कोशिश नहीं करता!

एक तरह से कॉलेज से ही बच्चों को यह शिक्षा मिल जाती है कि पढ़ाई की या नहीं की, मार्क्स आये कि नहीं आये, लेकिन दुनियादारी कैसे निभानी है, इसका एक ही रास्ता है और वो है भ्रष्ट तरीकों से!

सौदेबाज़ी कर के, बार्गेन कर के! एक तरफ हम देश सुधारने, भ्रष्टाचार ख़त्म करने, अपराध रोकने की बातें करते हैं, वहीं हमारे शिक्षा के संस्थान बच्चों को इन्ही सब ग़लत कामों में एक्सपर्ट की डिग्री प्रदान करते हैं!

अगर देश को तरक्की करनी है, अगर नयी नस्ल को सच्चाई और ईमानदारी के रास्ते पर चलना सिखाना है तो सबसे पहले कॉलेजेस में सफ़ाई अभियान चलाना होगा! ग़लत कामों को रोकना होगा, गन्दी राजनीती से युवाओं को दूर रखना होगा ताकि जब वो पढ़ाई ख़त्म करके समाज का हिस्सा बनें, वो अपने साथ नए, साफ़ विचार लाएँ, ना कि वही गन्दगी जिस से लड़ने के लिए उन्हें शिक्षा दी जा रही है!

आशा है ऐसा ज़रूर होगा और जल्द ही होगा! देश हम सभी का है और आने वाली पीढ़ी हम सबकी ज़िम्मेदारी है!

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