मृत्यु का जन्म – हम सभी जानते हैं कि जीवन है तो मृत्यु भी आएगी है।
जिसने जन्म लिया है उसे एक ना एक दिन मृत्यु तो मिलनी ही है। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि हर इंसान की मृत्यु होना क्यों अनिवार्य है और कैसे इस मृत्यु का जन्म हुआ ?
अगर नही तो आइए जानते हैं मृत्यु का जन्म कैसे हुआ –
परमपिता ब्रह्मा जी ने ही इस पृथ्वी की रचना की है और सभी प्राणियों को जीवनदान दिया है। लेकिन इस समय हम जीवन की नहीं बल्कि मृत्यु की बात कर रहे हैं।
ब्रह्मा जी ने आज से अरबोंसाल पहले इस सृष्टि की रचना की थी। ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के कई करोड़ों साल बाद यह देखा कि पृथ्वी पर जीवन का बोझ बढ़ता चला जा रहा है और अगर इसे नहीं रोका गया तो पृथ्वी समुद्रतल में डूब जाएगी तब ब्रह्मा जी पृथ्वी पर बाहर का संतुलन बनाने के विषय में सोचने लगे।
बहुत अधिक सोचने के बाद ब्रह्मा जी को जब कोई उपाय नही सूझा तो उन्हें बेहद क्रोध आ गया जिसके कारण एक अग्नि प्रकट हुई और ब्रह्मा जी ने उस अग्नि को समस्त संसार को जलाने का आदेश दिया। यह देखकर सभी देवता, ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और उनसे पूछा कि‘हे ब्रह्मा जी आप इस संसार का विनाश क्यों कर रहे है’तब उस समय ब्रह्मा जी ने उत्तर दिया कि देवी पृथ्वी- जगत के वजन से चिंतित हो रही थी। उनकी इस पीड़ा ने ही मुझे प्राणियों के विनाश के लिए प्रेरित किया है।
यह विनाश देखकर भगवान शिव जी ने ब्रह्मा जी से प्रार्थना की और उन्हें कहा कि आप इस प्रकार पृथ्वी का भी विनाश कर देंगे, आप कोई दूसरा उपाय सोचिए। यह सुनकर ब्रह्मा जी का क्रोध शांत हुआ और उस समय उनकी इंद्रियो में से एक स्त्री उत्पन्न हुई।
ब्रह्मा जी ने उस स्त्री को मृत्यु कह कर पुकारा।
तो इस तरह दोस्तों इस संसार में मृत्यु का जन्म हुआ।
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