खतरे का अंदेशा – बेज़ुबान जानवर यूं तो कुछ कह या समझा नहीं सकते हैं लेकिन कईं ऐसी घटनाएं हैं जो इस बात की ओर इशारा करती हैं कि उन्हे आने वाली तबाही के बारे में पहले ही पता चल जाता है।
जी हां, पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार इंसान को बुध्दिजीवी का दर्जा दिया गया है लेकिन जानवर भी आने वाली तबाही को पहले से ही भांप लेते हैं हालांकि ये अभी तक ज्ञात नहीं हो पाया है कि पशु-पक्षियों में ऐसा कौन सा गुण होता है जिससे उन्हे आने वाले खतरे का अंदेशा हो जाता है। पर कईं ऐसे मौके आए जब जानवरों ने इस बात को सिध्द किया कि उन्हे आने वाली मुसीबत का पूर्वाभास हो जाता है।
इसे कुदरत का करिश्मा कहिए या कुछ और, लेकिन ये बात एकदम सच है। अगर हम बीते वक्त में हुआ कुछ तबाही की घटनाओं पर गौर फरमाएंगे तो इस बात पर आप आपका यकीन भी पक्का हो जाएगा।
बेजुबान जानवर आने वाले खतरे का अंदेशा होते ही अपने आस-पास के लोगों को आगाह करने की कोशिश भी करते हैं लेकिन उनकी बात कोई समझ नहीं पाता है।
वैसे बता दें कि ये कोई अंधविश्वास या वहम नहीं है क्योकि विज्ञान भी इस बात को स्वीकारता है कि अपने सिक्सथ सेंस के ज़रिए जानवर और पक्षियों को आने वाले खतरे का अंदेशा हो जाता है।
ज़रा इस घटना पर गौर फरमाइए दिसंबर 2014 में आई सुनामी से पहले भारत की पॉइंट कैलिमेयर अभ्यारण्य में रहने वाले फ्लेमिंगो पक्षी जो हमेशा निचले तल पर ही पाए जाते हैं वो निचले तल को छोड़कर ऊपरी धरातल पर जा पहुंचे। इसके बाद 26 दिसंबर को आई इस सुनामी में श्रीलंका और भारत के कई तटीय इलाके प्रभावित हुए थे और कईं लाख लोग मारे गए थे। पक्षियों का ऊपरी धरातल पर जाना इस बात का इशारा था कि निचले तल पर कोई संकट आने वाला है।
सिर्फ यही नहीं, श्रीलंका के तटीय इलाके पर रहने वाला एक व्यक्ति जो कि रोज़ अपने कुत्तों को तट पर टहलाने के लिए ले जाता था, उसके कुत्तों ने एक दिन तट पर जाने से मना कर दिया, वो घर से निकलने के लिए ही तैयार नहीं हो रहे थे और उसी दिन तट पर सुनामी आ गई।
सुमात्रा द्वीप पर भी एक बार भूकंप आने से पहले हाथियों में अजीब सी हचचल देखने को मिली थी, यहां के हाथियों के पर्यटकों को बैठाने से इंकार कर दिया था, हाथी अजीब तरह से बेचैन थे और रो रहे थे। उनकी इस बेचैनी को महावत ने महसूस किया था लेकिन कोई हाथियों के इशारों को समझ नहीं सका।
इसके अलावा भी ऐसी कईं घटनाएं हैं जो इस बात की ओर इशारा करती हैं। हाथी, कुत्ते, नेवले,चूहे, बिल्ली, कुत्ते और सांप सभी आने वाली तबाही की हलचल को समझ लेते हैं और पहले से ही उस स्थान से दूर भागने लगते हैं जहां तबाही होने वाली होती है।
ये साबित करता है कि पक्षियों को आनेवाले खतरे का अंदेशा – कईं इतिहासकारों, वैज्ञानिकों और कुछ जानवरों के मालिकों ने भी इस बात को महसूस किया है, अब आप इस पर विश्वास करते हैं या नहीं, ये पूरी तरह से आप पर निर्भर करता है। लेकिन भूतकाल में हुई घटनाएं तो इसी ओर इशारा करती हैं।
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