अगर कभी आप इतिहास के पन्नों को पलट कर देखोगे तो बिहार का इतिहास काफी गौरवमय रहा है।
मालूम नहीं आधुनीकिकरण के दौर में बिहार कैसे पीछे रह गया। क्योंकि जेपी आंदोलन तक भी बिहार ने अपनी भूमिका काफी अच्छे से निभाई थी। केवल आधुनिकीकरण के बाद से ही बिहार का चक्का जाम हो गया है और ये चक्का अब लगता है लड़खड़ाने लगा है। तभी तो हर दूसरे साल में इसको लेकर कोई ना कोई बुरी खबर सामने आ जाती है।
बिहार का इतिहास
दो साल पहले बिहार अपने बोर्ड टॉपर को लेकर सवालों के घेरे में घिरा था जिसके कारण पूरे देश में उसकी किरकिरी हुई थी। इस साल फिर से बिहार अंत में आकर फंस गया है। कुछ इंटर के रिजल्ट को लेकर तो कुछ बोर्ड टॉपर को लेकर। आइए जानते हैं कि क्या है मामला?
बोर्ड टॉपर कल्पना
इस बार की नीट टॉपर बिहार से ही है। कल्पना कुमारी ने NEET 2018 की परीक्षा टॉपर की है और इन्होंने बिहार इंटर साइंस संकाय में भी टॉप किया है। इसके टॉप करने के बाद से ही विवाद शुरू हो गया है। दरअसल नतीजों के ऐलान के बाद तुरंत आरोप लगे कि स्कूल में हाजिरी कम होने के बावजूद कल्पना कैसे टॉपर हो सकती है।
विवादों को बढ़ता देख बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने कहा – ‘वह बिहार की बेटी है और उन्होंने बिहार का नाम रौशन किया है। बिहार को गौरवान्वित किया है। ये बातें बेमतलब की हैं। कल्पना को विद्यालय की ओर से बोर्ड परीक्षा में शामिल होने का परमिट मिला था। कल्पना कुमारी के पास योग्यता है, उन्होंने NEET की परीक्षा टॉप कर इसे साबित भी किया है।’
हाजिरी है वजह
दरअसल कल्पना के रिजल्ट पर विवाद की वजह उनकी स्कूल में हाजिरी है। नीट टॉप करने के बाद कल्पना ने बिहार के मीडिया को दिए इंटरव्यू में बताया था कि वह पिछले 2 साल से लगातार दिल्ली में रहकर मेडिकल एंट्रेंस के कोचिंग संस्थान में नीट की तैयारी कर रही थीं। जिसके कारण वह कॉलेज अटेंड नहीं कर पाई। ऐसे में स्कूलों में नियम है कि 75% अटेंडेस नहीं होने पर बोर्ड एक्ज़ाम में नहीं बैठने दिया जाता है।
लेकिन उनकी काबिलीयत को देखते हुए उन्हें बोर्ड एक्ज़ाम में बैठने दिया गया और उन्होंने इसे गलत भी नहीं साबित किया। आज वह नीट और बोर्ड दोनों की टॉपर हैं। ऐसे में शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने इस विवाद को तूल देने के लिए मना किया है। जिसके कारण इस विवाद को तूल नहीं दिया जा रहा था।
लेकिन,
यह क्या, अंत में बिहार फिर से एक विवाद में फंस गया और ये बिना तूल बने खत्म नहीं होने वाला है।
ये भी रहा विवाद
दो साल बाद के घोटाले के बाद इस बार भी एक घोटाला नजर आया है। दरअसल इस बार के 12वीं कक्षा के कुछ छात्रों का दावा है कि उन्हें टोटल से भी अधिक नंबर हासिल हुए हैं। मतलब कि कुछ छात्रों को 35 में से 38 नंबर मिले हैं। वहीं, कुछ अन्य स्टूडेंट्स का दावा है कि उन्होंने जिन पेपर्स की परीक्षा नहीं दी थी उनमें भी उन्हें नंबर मिले हैं।
ये है बिहार और बिहार का इतिहास – अब इसे तो छुपाया नहीं जा सकता। देखते हैं इस विवाद का अंत कहां है? तब तक के लिए बिहार की कल्पना को स्वर्णिम भविष्य की शुभकामनाएं।
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