1 अप्रैल से बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने अपना वादा निभाते हुए पूरे प्रदेश में शराब बंदी लगवा दी.
नितीश के इस फैसले का अधिकतर लोगों ने स्वागत किया वहीँ कुछ लोगों ने ये भी कहा कि किसी के शराब पीने पर पाबन्दी क्यों?
लेकिन ये जो खबर हम आज आपको बताने जा रहे है ये पढ़कर आपको पट चलेगा कि बिहार में शराबियों की संख्या किस कदर बढ़ चुकी थी और किस हद तक वो शराब के गुलाम बन गए थे.
शराब की लत कितनी बुरी होती है इसका पता इस बात से चलता है कि जब कोई व्यक्ति आदतन शराबी बन जाता है, मतलब की उसे हर रोज़ एक विशेष मात्रा में शराब चाहिए होती है तो ऐसी परिस्थिति में यदि उसे शराब ना मिले तो उसकी हालत ख़राब होने लगती है.
ऐसा ही कुछ बिहार के शराबियों के साथ हो रहा है. अभी शराब बंदी को दो हफ्ते भी ठीक से नहीं हुए और करीब 800 ऐसे मामले डॉक्टरों के पास आये है जिनमे आदतन शराबी शराब ना मिलने की वजह से बीमार हो गए है.
कुछ लोगों की हालत तो इतनी बुरी हो गयी है कि वो अपने परिवार, बीवी बच्चों को भी पहचान नहीं पा रहे है. कुछ लोगों ने शराब ना मिलने पर साबुन, बाम जैसी चीज़ें खाकर नशा करने की कोशिश की है.
इसी प्रकार के एक व्यक्ति का इलाज़ कर रहे डॉक्टर ने कहा है कि उनके मरीज़ को पिछले 10-12 साल से रोज़ करीब 500-700 ml शराब पीने की आदत थी. शराब अब उसकी जिंदगी का हिस्सा बन चुकी है, ऐसे में जब शराब बंदी की वजह से उसे शराब नहीं मिली तो उसके शरीर का सिस्टम बिगड़ने लग गया है. बेचैनी, पहचान ना पाना, ध्यान ना लग्न, कमजोरी जैसी शिकायतें होने लगी है.
ऐसी हालत इस एक व्यक्ति की नहीं बल्कि उन सब लोगों की है जो बहुत लम्बे समय से लगातार शराब का सेवन कर रहे है.
शराब ना मिलने पर हिंसा के मामलों में भी वृद्धि हो गयी है. ऐसे बहुत से मामले आ रहे है जिनमें लोग अपने परिवार वालों या अपनी पत्नियों पर शराब ना मिलने की वजह से हाथ उठा रहे है.
डॉक्टरों की माने तो शराब की लत लगे हुए की लत छुड़ाना काफी मुश्किल काम है और आदतन शराबियों की सेहत पर भी शराब ना मिलने का बुरा असर होता है.
ऐसे में ये बहस एक बार फिर से शुरू हो गयी है कि शराब या एनी किसी खाने पीने की चीज़ पर पाबन्दी सही है या गलत?
आखिर लोगों को अपनी पसंद के अनुसार खाने पीने की आज़ादी होनी चाहिए. इसी के साथ एक बात और शराब बंदी के बाद अवैध शराब की तस्करी में भी वृद्धि होगी और सरकार को मिलने वाले राजस्व में भी नुक्सान होगा.
शराब बंदी के सिक्के के भी दो पहलु है शराब जहाँ एक तरफ समाज के लिए बुरी है वही दूसरी और शराब बंदी सरकार के लिए राजस्व में कमी और शराब तस्करी का सरदर्द भी है.