दुनिया की सबसे बड़ी लूट – भारत पहले दिन से ही अंग्रेजों के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी थी.
अंग्रेज जानते थे कि भारत को किस दिशा से लूटना आसान है. जहाँ-जहाँ मराठा सैनिक थे उन समुद्री किनारों से अंग्रेजों ने अपना व्यापार शुरू ही नहीं किया था. अंग्रेज जानते थे कि बंगाल से व्यापार करना इसलिए आसान है क्योकि यहाँ पर लालची और लोभी राजाओं का राज है.
यह राजा बस किसी भी कीमत पर राज करना चाहते हैं.
लार्ड मैकाले ने एक जगह अपने देश के बिर्टिश गवर्नर रोबर्ट क्लाइव के बारें में लिखा है कि क्लाइव की सम्पति की कोई सीमा नहीं थी. बंगाल का खजाना उसके लिए खुला हुआ था. सिक्कों के विशाल ढेर उसने लूट में इकट्ठे किये थे. क्लाइव सोने और चांदी के मुकुट पहनता था. इसने मनमाने ढंग से खुद को समृद्ध किया था. अब जब एक अंग्रेज की अपने साथी के लिए ऐसा लिखा रहा है तो उस पर कार्यवाही तो होनी ही थी. क्लाइव ने यह सारा धन बंगाल से लूटा था. जिसके बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी ने क्लाइव के ऊपर कार्यवाही करके उसको वापस अपने देश बुला लिया था. क्लाइव जब भारत आया था तो वह एक साधारण क्लर्क ही था लेकिन जब वह गया तो वह उस समय अपने धन की ब्याज ही कुछ 40000 पौंड से अधिक ले रहा था.
अब आपको हम बताते हैं कि बंगाल से कैसे दुनिया की सबसे बड़ी लूट को अंजाम दिया गया था-
दुनिया की सबसे बड़ी लूट में अंग्रेजों ने आठ सालों में छह अरब पौंड लूटे
प्रोफ़ेसर कुसुमलता केडिया की पुस्तक भारत के विकास की भावी दिशा के अंदर पेज 192 पर यह बातें सबूत के आधार पर लिखी हुई हैं – यहाँ बताया गया है कि क्लाइव के राज में बंगाल एक निरीह बेसहारा शिकार की तरह से लालची अंग्रेज अफसरों के झुण्ड का शिकार हुआ था. अंग्रेज बंगाल से अपनी पैसों की हवस को पूरा कर रहे थे.
असल में अंग्रेज जानते थे कि भारत के पास जितना धन इनको मिल सकता है वह और कहीं नहीं मिल पायेगा.
जो पुस्तकें यह कहती हैं कि भारत की खोज की गयी थी तो यह एकदम असत्य है क्योकि भारत सोने की चिड़ियाँ है यह बात विश्व के सभी प्रमुख देश जानते थे. भारत में व्यापार करने तो हड़प्पा संस्कृति में ही विदेशों से लोग आते थे.
तो आइये अब आपको बताते हैं कि किन राजाओं ने अंग्रेजों को अपने पद के बदले धन दिया था-
इन राजाओं का जिक्र इतिहास में वीरों के रूप में क्यों किया गया है?
प्लासी की घटना के बाद जब पहली बार मीर जाफर को प्लासी का नवाब बनाया गया था तो उसके बाद अंग्रेज अफसरों और सैनिकों ने मीर जाफर से बारह लाख अड़तीस हजार पांच सौ पचहतर पौंड वसूले थे. इसके साथ-साथ मीर जाफर ने अपनी सल्तनत के बदले अंग्रेजों को बंगाल की एक धन समुद्र भी दे दी थी, जहाँ से अंग्रेज हर साल 27000 पौंड राजस्व ले रहे थे.
1763 में मीर जाफर को दुबारा प्लासी का नवाब बनाया गया था तो उसके पीछे अंग्रेजों का लालच ही था. दुबारा नवाब बनने पर जाफर ने 5 लाख 165 पौंड अंग्रेजों को दे दिए थे. अब यह तो साफ है कि मीर जाफर अपने पद के लिए अंग्रेजों को भारत का धन दिए जा रहा था. साल 1765 में निजामउद्दोला को पैसों की खातिर ही मीर की जगह नवाब बनाया गया था. तब अंग्रेजों को इसने 665 पौंड के बड़ी रकम दी थी. आप इस बात को रमेश चन्द्र कृत ‘भारत का आर्थिक इतिहास खंड 1 के पेज 22 पर आसानी से देख सकते हैं.
एक छोटे से आंकलन की मानें तो 1757 से 1765 के बीच 8 साल में ही अंग्रेज 6 अरब पौंड लूट चुके थे.
यह धन बंगाल की समस्त वार्षिक राजस्व से चार गुना अधिक था. इस प्रकार से अंग्रेजों ने मात्र आठ सालों में दुनिया की सबसे बड़ी लूट को अंजाम दिया था. भारत कैसे कुछ राजाओं के लालच की वजह से लूटा गया था यह बात यहाँ साबित हो जाती है. क्लाइव जब इंग्लैंड लौटा तो वह 40000 पौंड के ब्याज ले रहा था और 50000 पौंड पहले ही रिश्तेदारों को दे चुका था. मात्र 32 साल की उम्र में वह इंग्लैंड लौटा लेकिन तब वह वहां से राजा से भी अधिक अमीर बन गया था.
ये थी दुनिया की सबसे बड़ी लूट !
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