भारत

उत्तराखंड की चप्‍पल फ्रांस में मचा रही है धूम

भीमल चप्‍पलें – हमेशा से ही विदेशों में भारतीय चीज़ों की डिमांड रही है।

फ्रांस जैसे बड़े और अमीर देश में अब उत्तराखंड की चप्‍पलें धूम मचा रही हैं। जी हां, उत्तराखंड में बनने वाली भीमल चप्‍पलों को फ्रांस में बहुत पसंद किया जा रहा है।

आइए जानते हैं इन चप्‍पलों के बारे में और फ्रांस में इन्‍हें क्‍यों पसंद किया जा रहा है, इसके बारे में भी जान लेते हैं।

10 हजार चप्‍पलों की डिमांड

फ्रांस को ये भीमल चप्‍पलें इतनी ज्‍यादा पसंद आईं कि उसने 10 हज़ार भीमल चप्‍पलों का ऑर्डर दे दिया। 4 हजार चप्‍पलें तो एक्‍सपोर्ट भी कर दी गईं हैं। उत्तराखंड की कॉटन इंडस्‍ट्री के लिए ये उत्‍साहित करने वाली बात है। अब उत्तराखंड सरकार इसे ऑनलाइन बेचने की सोच रही है।

इस राज्‍य में छोटे-छोटे समूहों में भीमल, रिंगाल, कंडाली जैसे पेड़-पौधों से कई तरह की चीजें तैयार की जा रही हैं और अब इनकी ऑनलाइन बिक्री के बारे में सोचा जा रहा है। हाल ही में अमेजॉन से विभाग ने 20 प्रॉडक्‍ट्स की बिक्री के लिए एमओयू साइन किया है।

उत्तराखंड में कई महिलाएं ये भीमल चप्‍पलें तैयार कर रही हैं। ऋषिकेष, यमकेश्‍वर, ढालवाला और चमोली में इन्‍हें बनाया जा रहा है। भीमल के रेशे से स्‍लीपर तैयार की जाती हैं। राज्‍य में तो इनकी डिमांड है ही अब विदेशों में भी इन्‍हें खूब पसंद किया जा रहा है जिससे इनका उत्‍पादन भी बढ़ा है और महिलाओं का प्रोत्‍साहन भी।

भीमल के रेशों से तैयार की गई स्‍लीपर्स का रिटेल प्राइस 300 रुपए रखा गया है जबकि एक्‍सपोर्ट प्राइस 200 रुपए है। इसी रेट पर फ्रांस को चप्‍पलें सप्‍लाई की जा रही हैं।

बायर सेल मीट में भी स्‍लीपर्स

16, 17 और 18 जुलाई को ग्रेटर नोएडा में बायर सेलर मीट में भी उत्तराखंड के इन प्रॉडक्‍ट्स को डिस्‍प्‍ले किया गया था। वहां से भी लगातार इन स्‍लीपर्स की डिमांड आ रही है। इनमें भीमल के रेशे से तैयार स्‍लीपर की डिमांड बहुत है।

क्‍या है भीमल

उत्तराखंड में बहुतायत में पाया जाने वाला एक पौधा है भीमल। इसका बोटानिकल नाम ग्रेविया ऑप्टिवा है। तराई से 2000 मीटर की ऊंचाई तक ये प्‍लांट पाया जाता है और इसकी लंबाई 9 से 12 मीटर तक होती है। इस प्‍लांट को वंडर ट्री भी कहा जाता है और इसका कोई हिस्‍सा बेकार नहीं होता है। पत्तियों से पशुओं को हाइली न्‍यूट्रिएंट फॉडर मिलता है। स्‍टेम से फाइबर मिलता है, लकड़ी जलाने के काम आती है और इससे निकलने वाले चि‍पचिपे पदार्थ से शैंपू बनता है।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब विदेशों में भारतीय वस्‍तुओं को इतना ज्‍यादा पसंद किया जा रहा है। भीमल चप्‍पलें देखने में भी बहुत सुंदर हैं और इन्‍हें पहनकर आपको भी अच्‍छा लगेगा। यहां तक अब जब इन चप्‍पलों की डिमांड फ्रांस तक में हो गई है तो अब आप भी इन्‍हें अपने किसी दोस्‍त या रिश्‍तेदार को गिफ्ट कर सकते हैं।

फ्रांस में भीमल चप्‍पलों की डिमांड बढ़ना हमारे देश के लिए गर्व की बात है। इससे उत्तराखंड राज्‍य की आय में भी वृद्धि हुई है और वहां के लोगों, खासतौर पर महिलाओं को रोजगार मिला है।

Parul Rohtagi

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