भीम की ताकत – महाभारत के पांच पांडवों में से एक गदाधारी भीम बहुत शक्तिशाली हुआ करते थे. बताया जाता है कि भीम की ताकत एक या दो नहीं बल्कि 10 हजार हाथियों के बराबर थी.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अपने इसी बल के चलते एक बार गदाधारी भीम ने अकेले ही नर्मदा नदी के प्रवाह को रोक दिया था. आपको बता दें कि भीम को ऐसे ही 10 हजार हाथियों की ताकत नहीं मिली थी बल्कि इसके पीछे भी एक दिलचस्प पौराणिक गाथा छुपी हुई है.
वन में हुआ था पांचों पांडवों का जन्म
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कौरवों का जन्म हस्तिनापुर में हुआ था जबकि पांचों पांडवों ने वन में जन्म लिया था. पांडवों के जन्म के कुछ साल बाद ही उनके पिता पांडु का निधन हो गया.
जिसके बाद उस वन में रहनेवाले ऋषियों ने हस्तिनापुर पहुंचकर भीष्म और धृतराष्ट्र को पांडवों के जन्म और उनके पिता पांडु की मौत की खबर सुनाई. इस बात से अवगत होते ही पितामह भीष्म ने माता कुंती सहित पांचों पांडवों को हस्तिनापुर बुला लिया.
भीम की ताकत ऐसी थी कि धृतराष्ट्र के पुत्रों को अकेले ही हरा देते थे भीम
हस्तिनापुर पहुंचने के बाद पांचों पांडवों के वैदिक संस्कार को संपन्न किया गया. अब सभी पांडव कौरवों के साथ मिलकर खेलने लगे. लेकिन सभी खेलों में अकेले ही भीम धृतराष्ट्र के सभी पुत्रों को हरा देते थे.
बार-बार हर खेल में भीम से परास्त होने के कारण दुर्योधन के मन में भीम के प्रति दुर्भावना ने जन्म ले लिया और उचित अवसर मिलते ही दुर्योधन ने भीम को मारने का विचार कर लिया.
दुर्योधन ने भीम के भोजन में मिलाया विष
भीम को मारने का विचार करके एक बार दुर्योधन ने खेलने के लिए गंगा के तट पर शिविर लगवाया. जहां खाने-पीने की भी सुविधा कराई गई. दुर्योधन ने सभी पांडवों को खेलने के लिए वहां बुलाया.
इसी बीच मौका पाकर दुर्योधन ने भीम के खाने में ज़हर मिला दिया. जिसके बाद खाना खाते ही भीम अचेत हो गए तब दुर्योधन ने दु:शासन के साथ मिलकर भीम को गंगा नदी में फेंक दिया.
इसी अचेत अवस्था में भीम नागलोक पहुंच गए जहां सांपों ने उन्हें खूब डंसा और इसी के प्रभाव के चलते भीम के शरीर में ज़हर का असर कम होने लगा.
जब भीम को होश आया तो उन्होंने अपने आस-पास ढेर सारे सांपों को देखा जिसके बाद वो उन्हें मारने लगे. भीम से अपने प्राण बचाने के लिए सभी सांप डरकर नागराज वासुकि के पास पहुंचे और उन्हें सारी बात बताई.
ऐसे मिली भीम को 10 हजार हाथियों की ताकत
नागराज वासुकि और आर्यक नाग खुद भीम से मिलने के लिए उनके पास पहुंचे. भीम से मिलते ही आर्यक नाग ने भीम को पहचान लिया. बताया जाता है कि आर्यक नाग भीम के नाना के नाना थे.
इसलिए आर्यक ने नागराज वासुकि से कहा कि भीम को उन कुंडों का रस पीने की आज्ञा दे दीजिए जिनमें हजारों हाथियों की ताकत है. भीम ने 10 हजार हाथियों की ताकत वाले उन 8 कुंडों के रस को पी लिया फिर एक दिव्य शय्या पर सो गए.
इधर खेलने के बाद सभी कौरव और पांडव घर लौट गए लेकिन भीम के ना लौटने के बाद उन्हें सभी ढूंढने लगे. उधर नागलोक में आठवें दिन जब रस पच गया तब जाकर भीम नींद से जागे और फिर नागों ने उन्हें गंगा नदी के बाहर छोड़ दिया.
गौरतलब है कि घर वापस लौटने के बाद भीम ने यह आपबीती माता कुंती और अपने भाईयों को बताई. जिसके बाद युधिष्ठिर ने भीम से कहा कि वो यह बात किसी और से ना कहे.
वो कहते हैं ना कि जो होता है वो अच्छे के लिए ही होता है क्योंकि अगर दुर्योधन ने भीम को जान से मारने की कोशिश ना की होती है तो भीम नागलोक नहीं पहुंचते और ना ही भीम की ताकत 10 हजार हाथियों के जैसी हो पाती.
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