भूली भटियारी कैसे पड़ा नाम ?
वैसे तो खंडहर में तब्दील हो चुके इस महल को लेकर कई तरह की अवधारणाएं हैं. कोई कहता है कि इस जगह का नाम तुगलक वंश के सूफी संत बल-अली-बक्थियारी के नाम पर रखा गया था. बाद में इसका नाम बदलकर भूली भटियारी कर दिया गया. जबकि कुछ इतिहासकारों की मानें तो इस महल का नाम इसकी देखरेख करनेवाली महिला भूरी के नाम पर रखा गया था. कई लोगों की यह भी मानना है कि राजस्थान की एक जनजातीय लडकी भटियारीन रास्ता भूल गई थी और चलते-चलते वो इस जगह पहुंची थी जिससे इस जगह का नाम भूली भटियारी हो गया था.
वहीं इस महल को लेकर एक ऐसी अवधारणा भी है जो रोंगटे खड़ी कर देनेवाली है.
कहा जाता है कि इस किले में तुगलक वंश के बाद एक राजा ने अपना शिकारगाह बनाया था. एक दिन उस राजा ने गुस्से में अपनी रानी को इस महल में ज़िंदगी भर भटकने के लिए छोड़ दिया. उस रानी ने भटकते-भटकते इस जंगल में दम तोड़ दिया. रानी की मौत के बाद उसकी लाश का पता भी नहीं चला. उस रानी की आत्मा अब भी इस जंगल में भटकती है और आज भी वो अपने कातिल पति से बदला लेने के लिए तड़प रही है.