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इन महान भारतीय आविष्कारों को लोग मानते हैं विदेशी

आपमें से कई लोगों को लगता होगा कि अधिकतर आविष्‍कार विदेशों में हुए हैं लेकिन ऐसा नहीं है। भारतीय सभ्‍यता के बारे में पूरी जानकारी ना होने के कारण आपको ऐसा लगता होगा।

ऐसा बिलकुल नहीं है कि भारत में टैलेंट की कोई कमी है। आज हम आपको उन आविष्‍कारों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में आपको लगता होगा कि वो देसी नहीं बल्कि विदेशी हैं।

धनुष बाण का जनक भारत को कहा जाता है। भारतीय धर्म ग्रंथों में जिन आग्‍नेय अस्‍त्रों जैसे वरुणास्‍त्र, पाशुपतास्‍त्र, ब्रह्मास्‍त्र आदि का वर्णन किया गया है वो आज के युग के बंदूक, मशीनगन और परमाणु बम आदि के तौर पर जाने जाते हैं।

आपने अब तक पढ़ा होगा कि राइट ब्रदर्स ने विमान की खोज की थी लेकिन यह भी सत्‍य है कि चौथी शताब्‍दी में ही महर्षि भारद्वाज ने विमान शास्‍त्र के बारे में वर्णन किया था।

आज से तकरीबन 5000 साल पूर्व रामायण और महाभारत काल में पहिए का वर्णन मिलता है। इस कारण इस बात में कोई शक नहीं है कि पहिए का आविष्‍कार भारत ने नहीं ईरान ने किया है।

आजकल सर्जरी बहुत आम हो गई है। डॉक्‍टर तो रोज़ाना ही कोई ना कोई सर्जरी करते ही हैं। 1000 ईसा पूर्व ही महर्षि सुश्रुत ने अपने समय के चिकित्‍सकों के साथ मिलकर अंग लगाने, पथरी का ईलाज करने और प्‍लास्टिक सर्जरी के ज़रिए लोगों को स्‍वस्‍थ करने की तकनीक खोज निकाली थी।

अब तक आपको लगता होगा कि बिजली का आविष्‍कार माइकल फैराडे और बल्‍ब का जनक थॉमस एडिसन थे। लेकिन आपको बता दें कि इस आविष्‍कार को महर्षि अगस्‍त्‍य ने इन दोनों से पहले कर दिया था।

रेडियो के आविष्‍कार का जनक मार्कोनी को माना जाता है लेकिन जगदीश चंद्र बसु ने ब्रिटिश काल में इसकी खोज कर ली थी। उनकी किताब में लिखे नोट्स के आधार पर ही मार्कोनी ने रेडियो बनाया था।

व्‍याकरण का जनक भी भारत ही है। तकरीबन 500 ईसा पूर्व महर्षि पाणिनी ने सबसे पहले व्‍याकरण की रचना की थी। आपको शायद मालूम नहीं होगा कि शो के अनुसार कंप्‍यूटर के लिए सबसे उपयुक्‍त भाषा संस्‍कृत ही है।

किताबों में गुरुत्‍वाकर्षण यानि ग्रैविटी का आविष्‍कारक न्‍यूटन को बताया गया है लेकिन प्राचीन भारत के मशहूर गणितज्ञ और खगोलशास्‍त्री भास्‍कराचार्य ने एक ग्रंथ लिखा जिसमें गुरुत्‍वाकर्षण के नियमों के बारे में बताया गया है।

आज जो हम कपड़े पहनते हैं उनमें अधिकतर बटन लगे होते हैं। बटन का आविष्‍कार भारत में हुआ था और इस बात का पता मोहनजोदड़ो की खुदाई में चला था। सिंधु नदी के किनारे भारत की पहली सभ्‍यता 2500 से 3000 साल पहले रहा करती थी।

अंग्रेज़ो ने गुलामी के दौरान भारतीयों के मन में ऐसी भावना भर दी थी कि अंग्रेज़ उनसे सुपीरियर हैं और कहीं ना कहीं इसी वजह से हमें लगता है कि ज्‍यादातर चीज़ों का आविष्‍कार भारत ने नहीं बल्कि विदेशों में हुआ है लेकिन ऐसा नहीं है।

आज से नहीं बल्कि कई हज़ार वर्षों पहले से ही भारत में ऋषि-मुनियों ने कई चीज़ों का आविष्‍कार कर दिया था। उम्‍मीद है कि इन बातों को जानने के बाद आपको अपने देश के समृद्ध इतिहास पर गर्व होगा।