पेट्रोल और डीज़ल की लगातार बढ़ती कीमतों के विरोध में कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने आज भारत बंद का ऐलान किया और बंद का असर सुबह से ही दिखने भी लगा है. कई जगहों पर एहतियातन स्कूल बंद रखे गए हैं.
बंद के दौरान सुबह से ही बिहार में जहां हिंसा की खबर आई, वहीं मुंबई में एमएनस कार्यकर्ताओं ने जबरन दुकाने बंद करवा दी. अन्य राज्यों में कई लोगों को हिरासत में लिया गया. इन सबके बीच हम आपको बता दें कि बंद से एक दिन में देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होता है.
अर्थव्यवस्था को एक दिन के बंद से कितना नुकसान होता है इसका सही आकलन करना मुश्किल है. एक अनुमान के लिए आपको अर्थव्यवस्था के कुछ पहलुओं पर गौर करने की जरूरत है जिससे एक दिन के बंद से नुकसान का अंदाजा लगाया जा सके. आपको बता दें कि सितंबर 2015 में देश के ट्रेड यूनियनों ने एक दिन के बंद का आह्वान किया था. इस एक दिन के बंद में देश के बैंकिंग सेक्टर समेत ट्रांस्पोर्टशन और अन्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई थी.
इस एक दिन के बंद के बाद चैंबर ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) ने आकलन किया कि देश की अर्थव्यवस्था को कुल 25 हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा.
एक बार फिर सितंबर 2016 में सेंट्रल ट्रेड यूनियन ने एक दिन के भारत बंद किया. इस एक दिन के दौरान देशभर में ट्रांस्पोर्ट, मैन्यूफैक्चरिंग और बैंकिंग सेवाओं पर असर पड़ा और इंडस्ट्री चैंबर एसोचैम ने इस एक दिन के बंद से अर्थव्यवस्था को 18 हजार करोड़ रुपये के नुकसान पहुंचने का दावा किया.
वहीं जनवरी 2018 में दलित संगठनों ने एक दिन के महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया और बंद के दौरान जहां राज्य में कारोबार समेट ट्रांस्पोर्टेशन पूरी तरह ठप पड़ गया था वहीं बंद में हिंसा के चलते राज्य की संपत्ति को भी बड़ा नुकसान पहुंचा था. इस बंद के बाद राज्य में रीटेल कारोबार ने 700 करोड़ रुपये के नुकसान का दावा किया तो राज्य के होटल और रेस्तरां ने 100 करोड़ रुपये से ज़्यादा का नुकसान होने की बात कही.
हाल ही में जुलाई 2018 के दौरान देश में 8 दिनों तक ट्रक चालकों की हड़ताल रही. इन आठ दिनों के दौरान अर्थव्यवस्था को लगभग 50 हजार करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन किया गया. इस हड़ताल के चलते 20 जुलाई से लेकर 28 जुलाई तक देशभर में लगभग 90 लाख ट्रक सड़कों पर खड़े हो गए और इसका सीधा असर सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के काम के साथ ही देश में खाने-पीने की चीज़ों से लेकर फैक्ट्रियों के प्रोडक्शन पर भी हुआ. सिर्फ ट्रक की हड़ताल के चलते अर्थव्यवस्था को प्रतिदिन 6 से 7 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.
अब आपको बताते हैं कि राजनीतिक पार्टियों द्वारा बुलाए बंद से कितना नुकसान होता है. दरअसल, बंद के दौरान यदि कारोबार ठप्प होता है तो सरकार को जीएसटी का नुकसान होता है. पिछले वित्त वर्ष के दौरान केन्द्र सरकार को प्रति माह जीएसटी से लगभग 90 हजार करोड़ रुपये के राजस्व की आमदनी हुई थी. ऐसे में सरकार को यदि एक दिन का जीएसटी राजस्व न मिले तो उसे लगभग 3,333 करोड़ रुपये का नुकसान अपने राजस्व में उठाना पड़ेगा. केंद्र सरकार की कमाई में हुई कमी का असर अर्थव्यवस्था पर भी होगा.
अब आज के भारत बंद से देश को कितना नुकसान होगा ये इस बात पर निभर करेगा की बंद कितना प्रभावी हुआ, लेकिन करोड़ों का नुकसान तो तय है, विरोध का ये तरीका बिल्कुल सही नहीं है, लेकिन हमारे देश में लोग विरोध के लिए यही तरीका अपनाते हैं.