भगवान श्री राम को महापुरुष समझा जाता है. त्रेता युग में उत्पन्न हुए भगवान विष्णु के सातवें अवतार राम ने रावण का अंत करके समुचे विश्व को नया जीवन दिया था.
भगवान श्री राम को हिन्दू धर्म के अधिकतर लोग पूजते हैं और उनके सम्मान में कई त्यौहार भी मनाते हैं, जिनमे दीपावली, रामनवमी जैसे त्यौहार शामिल है. राम एक ऐतिहासिक महापुरुष थे और इस बात के पर्याप्त प्रमाण भी हैं.
लेकिन क्या आप उन राम मंदिर के बारे में जानते है, जहां राम सबसे ज्यादा पूजे जाते है.
अगर नहीं…
तो चलिए हम आपको लिए चलते भगवान श्री राम के उन 10 प्रमुख राम मंदिर, जहां पूजे जाते है राम….
भगवान श्री राम –
1. राम मंदिर आयोध्या
अयोध्या हिन्दुओं के प्राचीन और 7 पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है. सरयू नदी के तट पर बसे इस नगर को रामायण अनुसार ‘मनु’ ने बसाया था. यह हिन्दुओं के लिए मदीना और बेथलहम की तरह है. मध्यकाल में राम जन्मस्थान पर बने भव्य मंदिर को आक्रांता बाबर ने तोड दिया था और वहां एक मस्जिद स्थापित कर दी थी जिस पर अभी भी विवाद जारी है. यह विवाद इतना बड़ा था कि जिसने देश भर में हिन्दू-मुस्लिम दंगे का रूप ले लिया था, जिसमे लाखो की तादात में मृत्यु हुई थी.
2 . रघुनाथ मंदिर ,जम्मू काश्मीर
इस मंदिर को 1835 में महाराजा गुलाब सिंह ने बनवाना शुरू किया था और इसका पूर्ण निर्माण महाराजा रणजीतसिंह के काल में हुआ. भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर के जम्मू शहर में स्थित यह राम मंदिर आकर्षक वास्तुकला का नमूना है. इस मंदिर में 7 ऐतिहासिक धार्मिक स्थल मौजूद है. मंदिर के भीतर की दीवारों पर तीन तरफ से सोने की परत चढ़ी हुई है. इसके अलावा मंदिर के चारों ओर कई मंदिर स्थित है, जिनका सम्बन्ध रामायण काल के देवी-देवताओं से हैं.
3 . तारमचंद्र स्वामी मंदिर, आंध्रप्रदेश भद्राचलम
भगवान राम का यह दिव्य मंदिर आंध्रप्रदेश के खम्मण जिले के भद्राचलम शहर में स्थित है. इस स्थान की विशेषता यह है कि यह वनवासी बहुल क्षेत्र है और माना जाता है कि भगवान राम को वनवासी अपना पूज्य मानते हैं. कथाओं के अनुसार भगवान राम जब लंका से सीता को बचाने के लिए गए थे, तब गोदावरी नदी को पार कर इस स्थान पर रुके थे. मंदिर गोदावरी नदी के किनारे ठीक उसी जगह पर बनाया गया है, जहां से राम ने नदी को पार किया था.
भद्राचल से कुछ ही किलोमीटर दूर एक स्थान पर श्रीराम एक पर्णकुटी बनाकर रहे थे. आज इस स्थान को पर्णशाला कहा जाता है. यहीं पर कुछ ऐसे शिलाखंड भी हैं जिनके बारे में यह विश्वास किया जाता है कि सीताजी ने वनवास के दौरान यहां वस्त्र सुखाए थे. स्थानीय किंवदंती के अनुसार यहीं से रावण ने सीता का हरण किया था, लेकिन रामायण के अनुसार वह स्थान पंचवटी था.
इस मंदिर का निर्माण रामभक्त कंचली गोपन्ना नामक एक तहसीलदार ने करवाया था. उन्होंने बांस से बने प्राचीन मंंदिर के स्थान पर पत्थरों का भव्य मंदिर बनवाया था. मंदिर बनवाने के कारण लोग उन्हें रामदास कहते थे.
4 . त्रिपायर श्रीरामा मंदिर, केरल
यह मंदिर भारतीय राज्य केरल के दक्षिण-पश्चिमी शहर त्रिपायर में स्थित है. त्रिप्रायर नदी के किनारे स्थित त्रिप्रायर श्रीराम मंदिर कोडुन्गल्लुर का प्रमुख धार्मिक स्थान है, जो कि कोडुन्गल्लुर शहर से लगभग 15 किलोमीटर और त्रिशूर से 25 किलोमीटर दूर स्थित है. भगवान विष्णु के 7वें अवतार भगवान श्रीराम की इस मंदिर में पूजा की जाती है. इस मंदिर के बारे में कई किंवदंतियां प्रचलित हैं. माना जाता है कि इस मंदिर में स्थापित मूर्ति यहां के स्थानीय मुखिया को समुद्र तट पर मिली थी. इस मूर्ति में भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव के तत्व हैं, अत: इसकी पूजा त्रिमूर्ति के रूप में की जाती है.
5 . श्रीतिरुनारायण स्वामी मंदिर, मेलकोट, कर्नाटक
इस स्थान को तिरुनारायणपुरम भी कहते हैं. यह एक छोटी-सी पहाड़ी है जिसे यदुगिरि कहते हैं. मेलकोट या मेलुकोट कर्नाटक के मांड्या जिला तहसील पांडवपुरा का एक छोटा-सा कस्बा है, जो कावेरी नदी के तट पर बसा है. यदुगिरि पहाड़ी पर दो मंदिर स्थित है. एक मंदिर भगवान नृसिंह का जो पहाड़ी के रास्ते में पहले पड़ता है और दूसरा चेलुवा नारायण का मंदिर जो पहाड़ी के सबसे उपर स्थित है. यह स्थान मैसूर से 51 किलोमीटर और बेंगलुरु से 133 किलोमीटर किलोमीटर दूर है.
6 . थिरुवंगड श्रीरामस्वामी मंदिर, केरला, कन्नूर
केरल के कन्नूर जिले में स्थित थालास्सेरी में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया एक प्रसिद्ध किला है. यहां से कुछ दूर ही प्रसिद्ध रामस्वामी मंदिर है. माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 2,000 वर्ष पूर्व हुआ था. इससे पहले इस स्थान पर भगवान परशुराम ने एक विष्णु मंदिर का निर्माण करवाया था. इस स्थान का संबंध अगस्त्य मुनि से भी है.
7 . हरिहरनाथ मंदिर, सोनपुर
इस दिव्य हरिहरनाथ मंदिर का निर्माण भगवान राम ने त्रेतायुग में करवाया था. माना जाता है कि श्रीराम ने यह मंदिर तब बनवाया था, जब वे सीता स्वयंवर में जा रहे थे. इस मंदिर को भगवान राम ने अपने आराध्य भगवान विष्णु के लिए बनवाया था.
8 . रामभद्रस्वामी मंदिर, केरल, त्रिसूर
यहां स्थित रामभद्रस्वामी का मंदिर विश्वप्रसिद्ध है. दूर-दूर से लोग इस मंदिर की भव्यता देखने आते हैं. त्रिसूर से 85 किलोमीटर दूर कोच्चि का एयरपोर्ट है, जहां से देश विदेश के लोग इस मंदिर में दर्शन के लिए आते है. हालांकि त्रिसूर नगर में रेलवे स्टेशन भी है, जो देश के सभी बड़े स्टेशनों से कनेक्टेड है.
9 . रामवन मंदिर, मध्यप्रदेश
ऐसा माना जाता है कि श्रीराम, अत्रि-आश्रम से मध्यप्रदेश के सतना जिले में पहुंचे, जहां उन्हें कई ऋषियों मुनियों के आश्रम में 10 साल रुकना पड़ा और भ्रमण करना पड़ा. ऐसे में श्रीराम द्वारा सालो वनों में घूमने के कारण सारा पर्यावरण धन्य हो गया, जिसे लेकर स्थानीय गावं वालो ने इस वन को मंदिर का रूप दे दिया. तब से इस परिसर को रामवन नाम से जाना जाने लगा.
यहाँ पर ‘रामगढ़” नाम का एक पर्वत है, जहां 30 फीट की ऊंचाई एक झरना कुंड में गिरता है, जिसे “सीता कुंड” कहते है. यहां पर दो गुफाए भी है, जिसे ‘लक्ष्मण बोंगरा’ और ‘सीता बोंगरा’ के नाम से जाना जाता है. ये गुफाएं श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.
10 चित्रकूट, राम मंदिर, उत्तर प्रदेश
चित्रकूट, हिन्दू धर्मस्थलो में प्रसिद्द नाम है. ऐसा कहा जाता है कि श्रीराम अपने छोटे भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ प्रयाग पहुंचे और वहां पहुंचकर श्रीराम ने गंगा-यमुना नदी को पार किया. वहां से चित्रकूट पहुंचे, जहां पर कई महीने अनुसूया के आश्रम में रहे, जिसके चलते प्रयाग की धरती को धर्म स्थलों में गिना जाने लगा. यहां ऐसे कई स्थल हैं, जो राम, लक्ष्मण और सीता के जीवन से जुड़े हुए हैं. जिनमे राम घाट, जानकी कुंड, हनुमान धारा, गुप्त गोदावरी, जैसे नाम शामिल है. यह पवित्र स्थल हिन्दुओं के लिए अयोध्या से कम नहीं है. आपको बतादे कि यहां पर कई स्मारक भी है जो खुद में ही चित्रकूट की एक पहचान है. यहां स्थित स्मारकों में वाल्मीकि आश्रम, मांडव्य आश्रम, भरतकूप इत्यादि आते है.
मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्री राम को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक माना जाता है.
ये सभी राम मंदिर इस बात को बयान करते है. लेकिन हमारे देश में भगवान श्री राम की परिभाषा को अलग ढंग से लिया जा रहा है. हमारे देश के राजनेता श्रीराम पर और राम मंदिर पर राजनीति कर रहे है, जो कि शर्मनाक है…..
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