भगवत गीता को हिन्दू धर्म में सर्वश्रेष्ठ धार्मिक पुस्तकों में गिना जाता है.
जीवन की मूलभूत बातों को भी इसमें शामिल किया गया है. महाभारत के युद्ध की तैयारियां चल रही थी. दोनों सेनायें आमने सामने थीं. और तभी अर्जुन ने अपने भाई और गुरुजनों से युद्ध करने में असमर्थता जताई. अर्जुन के रथ पर सवार भगवान कृष्ण जी ने तब अर्जुन को जो बातें कहीं, उन्हीं सब बातों को मिलाकर, गीता का निर्माण हुआ.
वैसे हर व्यक्ति को भगवत गीता का पाठ जरूर करना चाहिए. आप बेशक धार्मिक लिहाज से गीता का पाठ मत करो लेकिन गीता को समझने के बाद जीवन जीना काफी हद तक सरल हो जाता है.
तो आइये देखते हैं गीता सार, भगवत गीता की 10 बड़ी बातें इनको पढ़ा समझो गीता पढ़ी-
1. कर्म पर ध्यान दें
गीत सार में सबसे पहले यह समझ लेना चाहिए कि व्यक्ति को मात्र अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए. हम अक्सर फल की चिंता करते हैं और कर्म करने में मात खा जाते हैं तो गीता कहती है कि मनुष्य तो मात्र अपने कर्म पर ध्यान दे, फल की चिंता मत कर.
2. आत्मा अजर-अमर है
मृत्यु का डर हमको हमेशा सताता रहता है. वैसे भी मनुष्य मरना कब चाहता है. तो गीता हमें बताती है कि हर चीज का अंत एक दिन होना है. आत्मा अजर अमर है वह कभी नहीं मरती है. जबकि शरीर कुछ भी नहीं है. शरीर खत्म होता है आत्मा कभी नहीं मरती है.
3. क्रोध का त्याग जरुरी है
भगवान कृष्ण जी अर्जुन को बताते हैं कि क्रोध मनुष्य का दुश्मन होता है. हर परिस्थिति में शान्ति के साथ खड़े रहो. अगर आप क्रोध से काम लेते हैं तो आप खुद का ही नुकसान करेंगे.
4. क्या मेरा-मेरा करना
ये जीवन मात्र एक मेला है. क्या पर हम बस अपना कुछ समय ही बिताने आये हैं. लेकिन हम यहाँ मेरा-मेरा करते हुए मर जाते हैं. मेरा पैसा, मेरे बच्चे, मेरा घर, कुछ भी मेरा नहीं होता है. इंसान नंगा आता है और नंगा ही जाता है.
5. अपनी इच्छाओं पर काबू रखें
मनुष्य को इच्छाओं पर काबू रखना आना चाहिए. अन्यथा रोज कुछ नया और एक अलग इच्छा मनुष्य को भ्रमित किये हुए रखती है.
6. चिंता नहीं चिंतन करें
चिंता हमेशा चिता के समान होती है. यह व्यक्ति को हर पल, हर घड़ी मारती रहती है. लेकिन मनुष्य को चिंता नहीं बल्कि चिंतन करना चाहिए.
7. ईश्वर हर जगह है
अर्जुन ध्यान रखो कि ईश्वर हर जगह है. ईश्वर से तुम छुपे हुए नहीं हो. इसलिए प्रत्येक कर्म करते हुए इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह परमात्मा हमें देख रहा है. ऐसा सोचने से तुम गलत कार्यों को करने से बच सकते हो.
8. जीवन में डर ना हो
गीता हमें सिखाती है कि मनुष्य के जीवन में डर नहीं होना चाहिए. कर्म अगर सही है, सत्य अगर तुम्हारे साथ है तब आपको किसी भी स्थिति में डरना नहीं चाहिए.
9. छल, पाप, कपट नहीं
गीता के एक अध्याय में यह बात लिखी गयी है कि मनुष्य को छल, कपट और पापों से दूर रहना चाहिए. इस तरह के कर्म वालों को मरने से बाद भयानक कष्ट उठाने पड़ते हैं.
10. मन की ना सुनें, आत्मा की सुनें
व्यक्ति को हमेशा आत्मा की आवाज सुननी चाहिए. लेकिन हम मन की बात सुनते हैं. मन हमेशा गलत कार्य करवाता है और आत्मा प्रभु की ओर हमें खींचती है.
तो यह रहा गीता सार, अगर आप गीता नहीं पढ़ सकते हैं तो यह 10 बातें आपकी बेहद मदद कर सकती है.
सम्पूर्ण गीता शास्त्र का निचोड़ है बुद्धि को हमेशा सूक्ष्म करते हुए महाबुद्धि आत्मा में लगाये रहो. स्वभावगत कर्म करना सरल है और दूसरे के स्वभावगत कर्म को अपनाकर चलना कठिन है क्योंकि प्रत्येक जीव भिन्न भिन्न प्रकृति को लेकर जन्मा है.
जीव जिस प्रकृति को लेकर संसार में आया है उसमें सरलता से उसका निर्वाह हो सकता है. श्री भगवान ने सम्पूर्ण गीता शास्त्र में बार-बार आत्मरत, आत्म स्थित होने के लिए बताया है.
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