हो सकता है कि ये खबर पढ़कर आपको अच्छा न लगे. आज भी आपको अपने दिल पर पत्थर रखना पड़े. लेकिन ये सच है.
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु, वो नाम, जिनके देशभक्ति के किस्से तो छोड़िए उनके नाम लेने मात्र से हर भारतवासी का खून जोश से उबाल मारने लगाता है उनको लेकर हमारे देश की सरकार की सोच आज भी नहीं बदली है.
आपके दिलों में राज करने वाले ये बलिदानी सरकारी कागजों में आज भी शहीद नहीं कहलाते हैं. देश की आजादी को आज 70 साल होने को हैं लेकिन हम आज भी बांट जो रहे हैं कि कब हमारे देश की अपनी सरकार इन भारत मां के अमर बलिदानों को शहीद मानेगी.
आपको बता दें कि ये कोई मामूली बात नहीं है. यह सरकारों की गुलाम अंग्रेज सोच का परिचायक है जो बताता है कि हम आज भी ब्रिटेन की दासता से अपने को मुक्त नहीं कर पाएं है.
नहीं तो क्या कारण है कि आजदी के इतने वर्ष बाद भी भारत की सरकारे चाहे वो किसी भी दल की रही हों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को शहीद मानने से बचती क्यों रही है.
क्या उनके ऊपर आज भी ब्रिटिश सरकार का कोई दवाब है या फिर कोई ऐसी संधि कि भारत आजाद हो जाने के बाद भी इन लोगों को शहीदों का दर्जा नहीं देगा.
आप में से अधिकांश लोग इस बात को जानते भी होंगे कि अंग्रेज इन क्रांतिकारियों को आतंकवादी मानते थे और गांधी के साथ कांग्रेस पार्टी भी कभी इन शहीदों के साथ इसलिए नहीं खड़ी हुई क्योंकि वो भी अंग्रेजों की तरह इनके कार्यों और आजादी के तरीकों को गलत मानती रही थी.
लेकिन यदि कांग्रेस को छोड़ भी दिया जाए तो भाजपा की सरकारों के साथ ऐसी क्या समस्या है जो वो भी इन अमर बलिदानियों के साथ न्याय नहीं कर पा रही है.
आपको बता दें कि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब भगत सिंह को शहीद घोषित करवाने के उनके पौते यादवेंद्र सिंह संधू ने उनसे गांधी नगर में मुलाकात करके इस मुद्दे को लेकर समर्थन मांगा था. उस वक्त नरेंद्र मोदी ने भरोसा दिया था कि केंद्र में भाजपा की सरकार आई तो वह भगत सिंह को शहीद का दर्जा दिला देंगे.
लेकिन अब केंद्र में मोदी की सरकार के बने तीन साल होने को हैं लेकिन इस बारे में अभी भी कार्रवाई के नाम पर फाइलें ही सरक रही है.
गौरतलब है कि यादवेंद्र सिंह संधू शहीद भगत सिंह ब्रिगेड के बैनर तले उन्हें शहीद घोषित करवाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. इसी मांग को लेकर उन्होंने जलियावाला बाग से लेकर इंडिया गेट तक शहीद सम्मान जागृति यात्रा भी निकाली थी.
यह मामला उस वक्त सुर्खियों में आया था जब केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी. बता दें कि भगत सिंह को शहीद का टाइटल देने के मामले को लेकर 2013 में एक आरटीआई डाली गई थी.
मामला संसद में उठने के बाद 2013 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सामने एक मंत्री ने घोषणा की थी कि सरकार भगत सिंह को शहीद मानती है. लेकिन संसद में की गई इस घोषणा पर आजतक अमल नहीं हुआ.
बहराल, इन बातों के बीच एक बार फिर उम्मीद जगी है कि नरेंद्र मोदी सरकार अब जल्द ही क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को आधिकारिक तौर पर शहीद का दर्जा दे सकती है.
भारत सरकार दस्तावेजों में शहीद का दर्जा देने की तैयारी में जुट गई है. खबर के मुताबिक गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने इस मामले से जुड़ी रिपोर्ट मांगी है.
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