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इस पवित्र कुंड में स्नान करनेवाले जोड़े कभी नहीं होते हैं एक-दूसरे से जुदा !

भदैया कुंड

प्रेमी-प्रेमिका या फिर पति-पत्नी के रिश्तों में कई बार ऐसे मोड़ भी आते हैं जब दोनों के बीच लड़ाई-झगड़े होने लगते हैं. कई बार दोनों के बीच के छोटे-मोटे झगड़े उनके अलगाव का कारण भी बन जाते हैं.

पति-पत्नी के बीच हमेशा प्यार बना रहे और वो जन्म-जन्मांतर तक एक-दूसरे के साथी बने रहें इसके लिए हिंदू धर्म में बकायदा कई रस्मों-रिवाजों का निर्वाह भी किया जाता है.

इन्हीं धार्मिक मान्यताओं के आधार पर हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे अनोखे कुंड के बारे में, जिसको लेकर धारणा है कि अगर प्रेमी-प्रेमिका या पति-पत्नी एक-दूसरे के साथ मिलकर इस कुंड में स्नान करते हैं तो वो कभी जुदा नहीं होते हैं.

प्रेमी जोड़ों के लिए वरदान है ये कुंड

मध्यप्रदेश के शिवपुरी स्थित भदैया कुंड यहां आनेवाले प्रेमी जोड़ों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इस कुंड़ से जुड़ी धार्मिक मान्यता के अनुसार अगर कोई शादीशुदा दंपत्ति इस कुंड के पानी में नहाएं तो उनके बीच हमेशा ही प्रेम बना रहता है और वो कभी एक-दूसरे से अलग नहीं होते.

इस कुंड के प्रति लोगों में इतनी गहरी आस्था और विश्वास है कि नवविवाहित दंपत्ति, प्रेमी जोड़ों के अलावा बुजुर्द दंपत्ति भी इस कुंड में स्नान करने के लिए आते हैं. भदैया कुंड में एक साथ स्नान करके वो दंपत्ति अपने आपसी विवाद को दूर करने की कोशिश करते हैं.

भदैया कुंड से जुड़ी मान्यता

भदैया कुंड को लेकर प्रचलित एक खास मान्यता के अनुसार दो प्रेमी जोड़ों ने यहां पर तपस्या की थी जिसके बाद उन्हें यह वरदान मिला था कि इस कुंड में जो भी नहाएगा उसका प्यार और भी गहरा हो जाएगा. तबसे यहां हर रोज भारी तादात में प्रेमी जोड़े आते हैं और कुंड में स्नान करते हैं.

इस कुंड को लेकर चमत्कार की मुख्य वजह चट्टानों से बहकर कुंड में आने वाले पानी को बताया जाता है. यहां जब भी बारिश होती है तब पानी चट्टानों से रिसकर एक वाटर फॉल का रुप ले लेता है और एक मंदिर के ऊपर से गिरता हुआ इस कुंड में इकट्ठा होता है.

इस कुंड में स्नान करने का सबसे अच्छा समय मानसून ही होता है क्योंकि इस समय कुंड में काफी मात्रा में पानी इकट्ठा हो जाता है.

पहले यहां हुआ करता था डाकुओं का अड्डा

भदैया कुंड में अपने प्यार की सलामती  और आस्था की डुबकी लगाने के लिए काफी संख्या में लोग आते हैं लेकिन साल 1960 से 1985 तक यह स्थल डाकुओं का अड्डा हुआ करता था.

उस दौरान  यहां अकेले आने से लोग डरते था लेकिन अब यहां कई होटल बनाए गए हैं इसके अलावा यहां की सुरक्षा व्यवस्था के चलते लोगों के मन से डाकुओं का खौफ निकल चुका है.

गौरतलब है कि एक ओर जहां नव विवाहित दंपत्ति अपने सुखी दांपत्य जीवन के शुरूआत की कामना करके इस पवित्र भदैया कुंड में स्नान करने के लिए आते हैं तो वहीं बुजुर्ग दंपत्ति भी अपने वैवाहिक जीवन में होनेवाले छोटे-मोटे झगड़े को खत्म करने की उम्मीद से यहां डुबकी लगाते हैं.