येरुशलम से लगभग 10 किलोमीटर दक्षिण में स्थित बेथलेहम शहर ईसाई समुदाय के लोगों का पवित्र स्थान है.
यह एक फिलिस्तीनी शहर है. और यह फिलिस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण के बेथलेहम शहर शासकीय-क्षेत्र की राजधानी और फिलिस्तीनी संस्कृति व पर्यटन का केंद्र है.
1 – बेथलेहम शहर यीशु का जन्मस्थान होने के कारण ईसाई समुदाय के आस्था का केंद्र है. तस्वीर में जो स्थान नजर आ रहा है बताया जाता है इस स्थान पर यीशु का जन्म हुआ था.
2 – बेथलेहम में मुस्लिम बहुमत है, लेकिन यह सबसे बड़े फिलिस्तीनी ईसाई समुदायों में से एक का घर भी है.
3 – बेथलेहम के सेंट केथरीन गिरजाघर में क्रिसमस की पूर्व संध्या पर होने वाली प्रार्थना सभा में शामिल होते हैं
4 – सन 529 ईस्वी में समारियाई लोगों द्वारा, उनके विद्रोह के दौरान, इस शहर में लूट-पाट की गई थी, लेकिन यूनानी शासक जस्टिनियन प्रथम द्वारा इसका पुनर्निर्माण करवाया गया.
5 – बेथलेहम का मुख्य आर्थिक भाग पर्यटन है, जो क्रिसमस के मौसम में अपने शिखर पर होता है, जब ईसा के जन्मस्थान के चर्च में ईसाई तीर्थयात्रियों की भीड़ लग जाती है.
6 बेथलेहम में तीस से अधिक होटल व तीन सौ हस्तकला के कारखाने हैं. रैशेल की समाधि, एक महत्वपूर्ण यहूदी पवित्र स्थल,बेथलेहम के प्रवेश द्वार पर स्थित है.
7 – फिलीस्तीनी नियंत्रण वाले बेथलेहम जाने के लिए इजराइली नियंत्रण वाले क्षेत्र से गुजरना पड़ता है. एक बार इजराइलियों ने फिलीस्तीनी नेता यासर अराफात को बेथलेहम में क्रिसमस की पूर्व संध्या पर होने वाली प्रार्थना सभा में भाग लेने से रोक दिया था.
8 – सन 1948 के अरब- इजराइल युद्ध में जॉर्डन ने इस शहर पर अधिकार कर लिया था. सन 1967 के 6 दिवसीय युद्ध में इजराइल ने इस पर कब्जा कर लिया. सन 1995 से, बेथलेहम पर फिलिस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण का नियंत्रण है.
9 – बेथलेहम में तीस से अधिक होटल व तीन सौ हस्तकला के कारखाने हैं. रैशेल की समाधि, एक महत्वपूर्ण यहूदी पवित्र स्थल,बेथलेहम के प्रवेश द्वार पर स्थित है.
10 – बहुत कम लोगों काक मालूम है कि बेथलेहम शहर की एक सड़क का नाम रूसी राष्ट्रपति पुतिन के नाम पर भी है. ऐसा पुतिन के प्रति फिलीस्तीनी की जनता के लगाव को दर्शाने के लिये बेथलेहम के मेयर ने किया था.
इस सब के बीच एक तथ्य यह भी है कि प्रथम विश्व-युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना ने ऑटोमन से बेथलेहम शहर का नियंत्रण छीन लिया और 1947 में फिलीस्तीन के लिये बनी संयुक्त राष्ट्र संघ की विभाजन योजना के तहत इसे एक अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में शामिल किया जाना था.
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