फ़िल्में सिर्फ तीन चीज़ों से चलती है एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट और मैं एंटरटेनमेंट हूँ
हिंदी फिल्मों की जान होते है डायलोग और गीत.
जिस तरह फिल्म का संगीत हमेशा याद रहता है वैसे ही फिल्म के संवाद भी दर्शकों के मन में गहरी छाप छोड़ देते है.
पुराने ज़माने में संवादों पर बहुत काम किया जाता था, अब संवादों में वो बात नहीं फिर भी गाहे बगाहे कुछ डायलोग ऐसे आते है कि उनमें कुछ अलग बात होती है,चाहे अच्छी या बुरी.
आइये आज आपको बताते है ऐसे ही कुछ संवाद जो फिल्म में तो बहुत गंभीर लगते है पर अगर उन्हें ऐसे पढ़ा जाये तो कभी मजाकिया तो कभी बेवकूफी भरे भी लगते है और हमें गुदगुदाते है.
अपन ने 115 घर खाली करवाया .52 किडनैपिंग कियेला है, दो ढाई सौ हड्डी तो तोडेला रहेगा, पन कभी अंदर नहीं आया..
फर्स्ट टाइम,फर्स्ट टाइम किसी को सॉरी बोला.. डायरेक्ट अंदर (लगे रहो मुन्ना भाई )
मुझे जो चाहिए, उसका मज़ा सिर्फ रात को ही आता है. (द डर्टी पिक्चर )
जैसे तू हुआ था ….. ऊपर वाले की दुआ से, थोड़ी मेहनत से, और बहुत सारी लगन से (वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई )
अगर जोकर मर गया तो बैटमैन क्या करेगा? घर बैठ कर आता गूंथेगा (डेढ़ इश्किया )
सुबह सुबह संडास जाने का है तो सिंगर बनना पड़ेगा, नहीं तो 2 किलोमीटर दूर रेलवे की पटरी पर (हेराफेरी )
कुंदन के पायजामे का नाडा इतना ढीला नहीं है बिंदिया की तेरे ब्लाउज के दो बटन से खुल जाये (राँझना)
मेरी शर्ट का साइज़ है XL और जीन्स का साइज़ है XXL (रामलीला )
कर्म सबके सामने आयेंगे … वो क्या है ना कर्मा रिश्वत नहीं लेता (गब्बर )
जो बिस्तर पर जुबान देते है वो अक्सर बदल जाते है (वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई )
ये पंजाब है पंजाब … यहाँ पहले गोली मारते है … फिर शायद लाश से कुछ पूछ ले (यमला पगला दीवाना )
दिल अगर सांड हो तो हर लड़की भैंस नज़र आती है (मटरू की बिजली का मंडोला )
माने की कसाई से दोस्ती करने से मुर्गी नहीं बचती …. पर कसाई अपना दोस्त हो तो कम से कम प्यार से मुर्गी तो कटती है (शादी नम्बर 1 )
क्या कभी गौर किया था इन डायलोग पर कभी?
है ना मज़ेदार…
ऐसे बॉलीवुड डायलोग जो धमाल ही नहीं बवाल भी है