मुसोलिनी के सम्बन्ध नाज़ी जर्मनी से हमेशा से अच्छे थे. कई व्यापारिक एवं सैन्य संधियाँ और समझौते हुए थे इन दोनों राष्ट्रों के बीच.
जब हिटलर ने यहूदियों का दमन शुरू किया तो इटली में बेनिटो ने भी वैसा ही कुछ करना शुरू कर दिया.
1940 में द्वितीय विश्वयुद्ध में इटली ने फ्रांस और ब्रिटेन पर हमला किया, पूर्वी अफ्रीका और बाल्कन में इटली की सेनाओं को अपनी कमजोरी पता चल गयी और हर युद्ध में इटली को मात खानी पड़ी.
मुसोलिनी को मित्र राष्ट्रों की सेनाओं द्वारा सिसली में गिरफ्तार कर लिया गया.
जर्मनी की मदद से बेनिटो रिहा हुआ. मित्र राष्ट्रों से संधि की गयी और मुसोलिनी को फिर से इटली की बागडोर सौंपी गयी पर मुसोलिनी नाममात्र का शासक रह गया था.
जब मित्र सेना इटली के अंदर तक आ पहुंची तो मुसोलिनी इटली से स्विट्ज़रलैंड भाग गया. अप्रेल 1945 को इटली के लोगों ने मुसोलिनी की गोली मार कर हत्या कर दी.
हत्या के बाद मुसोलिनी और उसके साथियों का शरीर सरे आम लटका दिया गया.
इस तरह लाखों लोगों के हत्यारे तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी का अंत हुआ.
ये था बेनिटो मुसोलिनी : लाखों लोगों के हत्यारे का राष्ट्रवादी से वहशीपन तक का सफर.