सुंदरकांड का पाठ – जब भी किसी व्यक्ति को उसके जीवन में समस्याएं घेर लेती है तो वह परेशान हो जाता है और आत्मविश्वास की कमी महसूस करने लगता है। ऐसे में फिर उसका ध्यान जाता है भगवान की तरफ।
अक्सर कई लोगों द्वारा सलाह भी दी जाती है सुंदरकांड का पाठ करने से सारी समस्याओं का समाधान खुद ही निकलने लगता है।
वहीं कई विद्वान पंडितो और ज्योतिष भी कष्ट निवारण के लिए सुंदरकांड का पाठ करने की सलाह देते है।
तो चलिए जानते है सुंदरकांड का पाठ और उससे से जुड़े तथ्य।
क्या है सुंदरकांड का पाठ –
जब हनुमान जी समुद्र लांघकर माता सीता की खोज में लंका पहुंचे, वहां सीता माता की खोज की, लंका को जलाया, सीता माता का संदेश लेकर भगवान श्रीराम के पास पहुंचे, यह एक भक्त की जीत का कांड है जो अपनी इच्छा शक्ति के के बल पर इतना बड़ा चमत्कार कर सकता है। इतना ही नहीं सुन्दरकांड में जीवन की सफलता के कई मत्वपूर्ण सूत्र भी दिए गए है। इसलिए पूरी रामायण में सुंदरकांड को सबसे श्रेष्ठ माना गया है क्योंकि यह आत्मविश्वास बढ़ाता है।
सुंदरकांड का पाठ के मनोवैज्ञानिक लाभ-
सुंदरकांड रामायण का एकमात्र ऐसा अध्याय है जो श्री राम के भक्त हनुमान की विजय का कांड है।
वहीं मनोवैज्ञानिक नजरिये से देखा जाये तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला कांड है। सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती है इतना ही नहीं किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है। इसलिए सुंदरकांड का पाठ करने की सलाह दी जाती है।
सुंदरकांड के पाठ से बनी रहती है हनुमान जी की कृपा-
हनुमानजी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए सुंदरकांड के पाठ करना जरुरी है। शास्त्रों में इनकी कृपा पाने के लिए कई उपाय दिए गए है उनमें से ही एक है सुंदरकांड का पाठ करना। इस कांड का पाठ करने से हनुमान जी की कृपा के साथ ही श्रीराम की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। किसी भी प्रकार की परेशानी में सुंदरकांड का पाठ करने से परेशानी दूर हो जाती है।
अगर आपको भी जीवन में कई समस्याओं ने घेर लिया है जिससे आप मानसिक रूप से कमजोर महसूस करने लगे है तो एक बार सुन्दरकांड का पाठ अवश्य करके देखिये।