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सुप्रीम कोर्ट का एतिहासिक फैसला, अब ‘गे’ होना अपराध नहीं

गे होना अपराध नहीं

गे होना अपराध नहीं – समलैंगिक संबंधों की वैधता को लेकर देश में लंबे समय से बहस छिड़ी हुई थी. मॉर्डन विचारों के लोग जहां इसके पक्ष में थे, वहीं रूढ़ीवादी इसे गलत ठहरा रहे थे, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की कैटेगरी से बाहर कर दिया है.

अपने एतिहासिक फैसले में कोर्ट ने कहा कि दो वयस्कों के बीच समलैंगिक संबंध अपराध नहीं होगा.

गे होना अपराध नहीं – समलैंगिकों के लिए आज का दिन ऐतिसाहसिक है. सुप्रीम कोर्ट ने बालिगों के बीच सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध मानने वाली धारा 377 के प्रावधान को खत्म कर दिया है.

कोर्ट ने अपने फैसले में सेक्शुअल ओरिएंटेशन बायलॉजिकल बताया है. कोर्ट का कहना है कि इस पर किसी भी तरह की रोक संवैधानिक अधिकार का हनन है.

किसी भी सामान्य व्यक्ति की तरह एलजीबीटी कम्युनिटी के लोगों को भी उतने ही अधिकार हैं.

गे होना अपराध नहीं –

गे होना अपराध नहीं – फैसला सुनाते वक्त जजों ने कई महत्वूपर्ण बातें कहीं.

– जजों ने कहा कि समाज को पूर्वाग्रहों से मुक्त होना चाहिए. हर बादल में इंद्रधनुष खोजना चाहिए. दरअसल, इंद्रधनुषी झंडा एलजीबीटी समुदाय का प्रतीक है. सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 377 को मनमाना बताया है.

– मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानविल्कर ने कहा कि समान लिंग वाले लोगों के बीच रिश्ता बनाना अब धारा 377 के तहत नहीं आएगा.

– सुप्रीम कोर्ट के जजों की बेंच ने माना कि समलैंगिकता अब अपराध नहीं. लोगों को अपनी सोच बदलनी होगी

-समलैंगिक लोगों को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है.

– जस्टिस दीपक मिश्रा ने बहुत अहम बात कही,  ‘मैं जो हूं वो हूं. लिहाजा जैसा मैं हूं उसे उसी रूप में स्वीकार किया जाए.’

कोर्ट के फैसले से समलैंगिक समुदाय के लोगों के साथ ही बॉलीवुड का एक तबका भी काफी खुश हैं. कोर्ट का फैसला आते ही मशहूर फिल्ममेकर करण जौहर ने खुशी जताते हुए इसे मानवता की बड़ी जीत बताया है.

करण जौहर ने इंस्टा पर finally! मैसेज लिखी हुई एक इमेज पोस्ट की है. कैप्शन में लिखा- ”ऐतिहासिक फैसला. आज मुझे गर्व महसूस हो रहा है. समलैंगिकता को अपराध मुक्त करना और धारा 377 को खत्म करना मानवता के लिए बड़ी जीत है. देश को उसकी ऑक्सीजन वापस मिली.”

गे होना अपराध नहीं – समलैंगिकता को अब तक धारा 377 के तहत अपराध माना जाता था. आखिर ये धारा है क्या? आपको बता दें कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के मुताबिक कोई किसी पुरुष, स्त्री या पशुओं से कुदरत की व्यवस्था के विरुद्ध संबंध बनाता है तो यह अपराध होगा. इस अपराध के लिए उसे उम्रकैद या 10 साल तक की कैद के साथ आर्थिक दंड का भागी होना पड़ेगा. यानी धारा-377 के मुताबिक अगर दो अडल्ट आपसी सहमति से भी समलैंगिक संबंध बनाते हैं तो वह अपराध होगा, लेकिन अब कोर्ट के फैसले के बाद समान सेक्स का आपस में संबंध अपराध नहीं है.

गे होना अपराध नहीं – सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने यकीनन लोगों को अपने विचार व्यापक करने की सीख दी है, लेकिन हमारा रुढ़ीवादी समाज दिल से इस फैसले को कितना स्वीकार कर पाता है ये अभी देखना बाकी है.