बच्चों को इंजीनियर नहीं बनाना चाहिए – आज से कुछ समय पहले माता-पिता का सपना हुआ करता था कि उनका बच्चा 12वीं के बाद इंजीनियर बने लेकिन अब इंजीनियरिंग के बाद आपको नौकरी मिले इस बात की भी कोइ गारंटी नहीं है।
यहां तक कि पूरी दूनिया में हमारे देश में सबसे ज्यादा बेरोज़गार इंजीनियर्स हैं।
जिसकी पुष्टि विश्व की कई जानी मानी कमपनियों केपीएमजी, मैकेंजी और एस्पायरिंग माइंड्स ने अपनी अलग-अलग रिपोर्ट में की है।
बच्चों को इंजीनियर नहीं बनाना चाहिए –
1 – बेराज़ेगारी के ये हैं प्रमुख कारण
रिपोर्ट्स की मानें तो आजकल कई कंपनियां ऐसी भी हैं जिनमें ऑटोमेशन और नई तकनीकों का ज्यादा इस्तेमाल होता है जिनके कारण बच्चों को इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराना फायदे का सौदा नहीं रहा है। कई कंपनियां तो अपने पुराने कर्मचारियों को भी निकाल रही हैं। यहां तक कि यह छंटनी इंजीनियरिंग की हर ब्रांच (सिविल, इलेक्ट्रोनिक्स और मेकेनिकल ब्रांच) में देखने को मिल रही है।
2 – आईआईटी है बैस्ट ऑप्शन
रिपोर्ट के अनुसार कई कंपनियां तो केवल उन्हीं स्टूडेंट्स को हायर कर रही हैं जिन्होंने अपनी पढ़ाई या तो आईआईटी से करी हो या फिर उनसे समक्ष संस्थान से की हुई हो। यहां तक कि कंपनियां उन इंजीनियरिंग विद्यार्थियों तक को नहीं ले रही जिन्होंने अन्य कॉलेजों या आईटीआई से डिप्लोमा किया हुआ है। ऐसे इंजीनियरों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यदा हमारे देश में है जो कि तकरीबन 60 फीसदी से भी अधिक है।
3 – नहीं मिली मान्यता
रिपोर्ट की मानें तो, देशभर में कुल 3200 कॉलेज हैं जहां इंजीनियरिंग कोर्सेस करवाए जाते हैं जिनमें से केवल 15 फीसदी को ही एनबीए से मान्यता मिली हुई है।
4 – बच्चों को नहीं आता है सही से कोडिंग करना
रिपोर्ट के मुताबिक कई कॉलेजों से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले छात्रों को तो ठीक तरह से कोडिंग तक नही करनी आती। ऐसे लोगों की कुल संख्या देशभर में 95 फीसदी है। जिसकी पुष्टि खुद कंपनियों ने की है। कैंपस प्लेसमेंट मे ज्यादातर बच्चों को बेसिक कोडिंग तक की जानकारी भी नहीं होती। जिसके कारण अब कंपनियां कैम्पस प्लेसमेंट करने से भी कतराने लगी हैं।
ये है वजहें बच्चों को इंजीनियर नहीं बनाना चाहिए – अगर आप भी अपने बच्चे को इंजीनियर बनाने की सोच रहे हैं तो एक बात समझ लें कि नौकरी पाने के लिए आपको सिर्फ आईआईटी से ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई करनी चाहिए क्योंकि उससे बाहर किसी और स्टूडेंट्स को नौकरी देने के मूड में कंपनियां बिलकुल नहीं हैं।