यदि आप पुण्य कमाने और दया दिखाने के लिए भिखारियों को पैसा देतें है तो आप अपनी इस सोच पर एकबार ठंडे दिमाग से गौर जरूर कर लें.
कहीं ऐसा तो नहीं आप दया और पुण्य कमाने के चक्कर में पाप के भागीदार बन रहें हों.
क्योंकि किसी जरूरतमंद की मदद करना पुण्य काम है लेकिन जिन लोगों ने भीख मांगने को धंधा बना लिया है उनको पैसे पर पैसे देकर आपको को पुण्य नहीं पाप ही मिलेगा.
वह इसलिए कि आप यह तो जानते ही हैं कि हमारे देश में भिखारियों के गैंग है जिन्होंने इसको एक संगठित आर्थिक आपराधिक कारोबार में तब्दील कर दिया है. इस गैंग की कोशिश होती है कि इनके गैंग में अधिक से अधिक लोग शामिल हों.
उसके लिए भी इनकी कोशिश होती है कि उनके गैंग में जितने ज्यादा बच्चे होंगे उतना अधिक मुनाफा. क्योंकि बच्चों से लेकर बड़ों को भीख तो बराबर मिलती है. लेकिन गैंग के मुखिया को भीख मांगने के बदले बच्चों को बड़ों के मुकाबले कम पैसे देने पड़तें है.
इससे होता क्या है कि बच्चों से भीख मंगवाने में गैंग के मुखिया को अधिक आमदनी होती है. इसलिए जब आप बच्चों को भीख देते हैं तो आप ये मानकर चलिए कि उसी दिन आपने एक नए बच्चें का भविष्य दांव पर लगा दिया. क्योंकि होता क्या है कि जब बच्चों से मुनाफा होंने लगता है तो ये गैंग भीख मांगने के लिए और बच्चों की भर्ती शुरू कर देता है.
एक स्वायत संस्था ने दिल्ली की भिक्षावृति पर विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत की जो वास्तव में रोंगटे खड़े कर देने वाली है. भिक्षावृति की इस रिपोर्ट के अनुसार केवल दिल्ली के चौराहो पर भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या ही लगभग तीन लाख है.
इनके पीछे एक नहीं, अनेक माफिया सक्रिय है जो इनसे इनकी दिनभर की कमाई लेकर केवल रोटी और फटे कपड़े ही देता है. अब आप ही सोच लीजिए आप इनको भीख दे रहें या उनके भविष्य को पुण्य कमाने के लिए दांव पर लगा रहें हो.
शायद आपको अब तक ये मालूम चल गया होगा ही कि ये लोग गैंग बनाकर आपकी भावना का दोहन करने के लिए भिक्षावृति को संगठित व्यवसाय की तरह चला रहे है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि ये गैंग द्वारा इन बच्चों से भीख के साथ-साथ अन्य काम भी लिए जाते है, इन्हें अपराध की बाकायदा ट्रेनिंग दी जाती है.
इसी का परिणाम है कि एक बच्चा अचानक गाड़ी के सामने या पीछे आकर ठक-ठक करने लगता है और चालक का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है, जैसे ही ड्राईवर गाड़ी से उतरकर उस ओर जाता है कुछ दूसरे बच्चे खिड़की से गाड़ी के डैसबोर्ड पर रखे आपके मोबाइल या अन्य सामान पर हाथ साफ कर देते है.
ये बच्चे भी उसी माफिया गिरोह के हाथों की कठपुतली है जो कभी उनसे भीख मंगवाता है तो कभी चोरी करने के लिए मजबूर करता है.
यहीं बच्चे बड़े हो कर पूरे समाज के लिए समस्या बन जाते है. चोरी, जेबतराशी, चैन स्नैचिंग से लेकर नशे के व्यापार में इनका आगे बढ़ जाना कोई आश्चर्य नहीं है.
इसलिये भिक्षावृति को घृणित व्यवसाय बनने से रोकने में आपको भी अपना योगदान देना होगा.
ध्यान रहे! कुपात्र को भीख देकर आप एक नए भिखारी को जन्म दे रहे है, भिक्षावृति को बढ़ा रहे है. भिक्षा माफिया को शक्ति प्रदान कर रहे हैं, न कि पुण्य फल अर्जित कर रहे हैं.
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