अरे यार रुक जाओ, रुक जाओ, पार्टी कर लेना, पहले बात तो सुन लो!
बियर की बात हुई नहीं कि लगे पार्टी करने| पहले यह तो जान लो कि सच में बियर इतनी सस्ती होने वाली है या कोई मज़ाक है?
वैसे यह बात छेड़ी है विजय माल्या जी ने!
जी हाँ, वही विजय माल्या जो पूरी की पूरी एयरलाइन (किंगफ़िशर एयरलाइन्स) हज़म कर गए और वो भी बिना डकार मारे!
बैंकों को हज़ारों करोड़ का चूना लगा दिया, जाने कितने कर्मचारियों की तनख्वाहें तक नहीं दी और यह सब करके अब साहब नया आईडिया लेकर आये हैं देशवासियों को मदहोश करने का! शायद सोच रहे होंगे कि ऐसा करके कुछ करोड़ और जेब में डाल लें!
तो माल्या साहब का कहना है कि सरकार बियर को शराब की केटेगरी से निकाल दे ताकि इसे घर-घर पहुँचाया जा सके, इस पर ड्यूटी कम लगे और ज़्यादा से ज़्यादा लोग इसे पी सकें, इसका आनंद उठा सकें! इसके पीछे दुहाई यह दे रहे हैं वो कि बियर में शराब की मात्रा केवल 5% होती है बजाये दूसरी अलकोहॉलिक ड्रिंक्स के जिनमें यह मात्रा कम से कम 40% होती है| साफ़ शब्दों में कहें तो बियर शराब है ही नहीं, केवल फलों का रस है, थोड़ा सा नशा मिला कर!
कहीं अगर सरकार ने इनकी बात मान ली तो यह हुज़ूर तो बल्ले-बल्ले करते बैंक भाग जाएँगे नोट गिनने|
बाकी देश में भी फिर काम तो होने से रहा, झूम बराबर झूम ही होगा! लोग ऑफ़िस में ब्रेक लेंगे, दो बियर पीकर आ जाएँगे! चाय-कॉफ़ी की जगह बियर मिला करेगी! माँ-बाप बच्चों को फ्रूट जूस की जगह बियर पिलाया करेंगे! रेड़ीयों पर फलों की जगह ठंडी बियर की बोतलें बिका करेंगी! यानी कि पूरा का पूरा देश टल्ली होके घूमा करेगा और वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि माल्या जी का मानना है कि दूसरे देशों के मुकाबले हमारे देश में बियर की खपत ना के बराबर है और इसे बढ़ाना बहुत ही ज़रूरी है! शायद भूखे के पेट में रोटी या बेरोज़गार के लिए नौकरी से भी ज़्यादा ज़रूरी! हाँ यह बात और है कि ऐसी लत लगाकर माल्या जी अपने हाथ साफ़ पोंछ डालेंगे कि भाई मैं तो व्यापारी हूँ, देश का भला ही कर रहा था, सब शराबी हो गए तो मेरा क्या कसूर?
वैसे जायज़ है माल्या जी को यह आईडिया आना!
अब बिज़नेस में नुक्सान हो रहे हैं, उधारी बढ़ चुकी है, लोग भरोसा कर नहीं रहे, बेटा बिज़नेस सँभालने कि बजाये हॉलीवुड में एक्टर बनने की कोशिश में लगा है तो अब कुछ तो नया करना ही पड़ेगा उन्हें! सोचा होगा चलो यह पैंतरा खेलते हैं, बताते हैं कि दुनिया में जवान लोग पानी और चाय के बाद सबसे ज़्यादा बियर पीते हैं तो हमारे यहाँ के बच्चों को भी बियर पिलाई जाए, सस्ते में! दूध-दही की नदी तो बहा नहीं सकते, चलो सबके घरों की टंकियों में बियर ही भर दी जाए!
डर बस इस बात का है कि कहीं सरकार इनकी बात मान ना ले!
यार अब नाराज़ मत हो! मैं जानता हूँ कि सस्ती बियर का लालच तुम्हारे दिमाग़ में घूम रहा है और तुम इस वक़्त विजय माल्या को अपना हीरो समझ रहे होगे पर ज़रा होश आ जाए तो सोचना कि अगर वो हो गया जो वो चाहते हैं, तो यह हमारे लिए अच्छा होगा या बुरा?
और हाँ, सोचने के लिए शुद्ध फलों का रस पीना, बियर नहीं!
चियर्स!