क्रिकेट में सदियों से एक कहावत चली आ रही है ‘कैचेस विन मैचेस’ (कैच पकड़ो मैच जीतो)।
इस कहावत को कई बार साबित होते हुए देखा गया। जब कोई फील्डर किसी निर्णायक मोड़ पर आकर कैच टपकाता है तो अंत में नतीजा आता है कि बल्लेबाज ने मैच जीत लिया।
इसके उलट एक कैच पकड़ने पर मैच जीतने के भी कई वाकये हुए हैं। आपको 1983 विश्व कप के फाइनल मुकाबला तो याद ही होगा आखिर कैसे कपिल देव ने मिड विकेट से 30 कदम भागते हुए विव रिचर्ड्स का कैच लपका और भारत ने पहली बार विश्व कप विजेता बनने का गौरव प्राप्त किया।
बहरहाल, क्रिकेट के इतिहास में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलेंगे जब विरोधी टीम का खिलाड़ी निर्णायक पल में कैच टपका बैठा और जीता हुआ मैच हाथ से फिसल गया। आज हम आपको ऐसे ही कुछ रोचक वाकये बताने जा रहे हैं, जिसमें बल्लेबाज का कैच टपकाना फील्डिंग टीम को बहुत भारी पड़ गया।
दो कदम पीछे खड़ा रहता रज्जाक
वसीम अकरम ये मशहूर बोल 2003 विश्व कप में निकले थे जब भारत और पाकिस्तान की टीमें आपस में भिड़ी थी। हाई वॉल्टेज ड्रामा वाले इस मुकाबले में भारतीय टीम 273 रन के लक्ष्य का पीछा कर रही थी। मैच से पहले बहुत बयानबाजी हुई थी और बयानों का असर भारतीय बल्लेबाजों पर दिख रहा था। विशेषकर सचिन तेंडुलकर पर। सचिन ने अपनी ख्याति के अनुरूप आक्रामक पारी खेली और पाकिस्तान के गेंदबाजों के होश उड़ा दिए। जब सचिन 36 रन बनाकर खेल रहे थे तब वसीम अकरम की गेंद पर उन्होंने मिड ऑफ के ऊपर से एक शॉट खेला। यह शॉट वहां मुस्तैद अब्दुल रज्जाक के हाथों को छूते हुए निकला। तब वसीम ने कहा था कि दो कदम पीछे खड़े रहना का कहा था रज्जाक। नतीजा सबको पता है। सचिन 98 रन बनाकर आउट हुए और भारत आसानी से इस मुकाबले को जीत गया। पाकिस्तान पहले ही दौर से बाहर हो गया।