इतिहास

30 साल से पानी में डूबा है यह मंदिर, पांडवो से है खास कनेक्शन

बाथू का मंदिर – भारत में बहुत से मंदिर और देवस्थान है और हर जगह से कोई न कोई अनोखी और दिलचस्प कहानी जुड़ी हुई है.

एक ऐसा ही मंदिर है लुधियाना शहर के तलवाड़ा से करीब 34 किमी की दूरी पर. पौंग डेम झील के बीच यह अद्भुत मंदिर है, जिसे की बाथू का मंदिर कहते हैं. ये साल में सिर्फ 4 महीने मार्च से जून तक ही नजर आता है. बाकी समय यह मंदिर पानी में डूबा रहता है. अज्ञात वास के दौरान पांडवों ने भगवान शिव की अर्चना करने के लिए यह मंदिर बनाया था. हर साल इस मंदिर को देखने के लिए 40 हजार से अधिक लोग आते हैं.

बाथू का मंदिर के पानी में डूबे रहने के ये कारण हैं.

– इन मंदिरों के पास एक बहुत ही बड़ा पिल्लर है. जब पौंग डैम झील का पानी काफी ज्यादा होता है, तब यह सभी मंदिर पानी में डूब जाते है, लेकिन सिर्फ इस पिल्लर का ऊपरी हिस्सा ही नजर आता है.

– इस मंदिर के पत्थरों पर माता काली और भगवान गणेश जी के प्रतिमा बनी हुई है. मंदिर के अंदर भगवान विष्णु और शेष नाग की मूर्ति रखी है.

– मंदिर तक पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है. मंदिर के आस-पास टापू की तरह जगह है, जिसका नाम ‘रेनसर’ है. यहां फॉरेस्ट विभाग का गेस्ट हाउस है. पोंग डैम बनने से पहले देश के कोने-कोने से लोग यहां दर्शन करने के लिए आते थे.

– इस मंदिर के साथ 8 मंदिरों की श्रृंखला है, जो बाथू नामक पत्थर से बनी हुई है. इसलिए इस मंदिर का नाम बाथू की लड़ी पड़ा है.

– यहां पर कई तरह के प्रवासी पंछी देखे जा सकते हैं. मार्च से जून तक दूर-दूर से पर्यटक इस मंदिर को देखने के लिए आते हैं.

– इस मंदिर तक पहुंचने के लिए तलवाड़ा से ज्वाली बस द्वारा आया जा सकता है.

– पानी में रहने के बाद अभी तक सही सलामत है इमारत.

– इन मंदिरों के पास एक बहुत बड़ा पिल्लर है, जब झील में जलस्तर बढ़ जाता है तो सिर्फ पिल्लर का ऊपरी हिस्सा नजर आता है.

– पिल्लर के अंदर लगभग 200 सीढ़ियां हैं. पिल्लर के ऊपर से 15 किलोमीटर तक झील का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है.

पांडवों ने लिया था आश्रय..

– ऐसा कहा जाता है कि त्रेता युग से पहले अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां आश्रय लिया था और भगवान शिव की पूजा करने के लिए यह मंदिर बनवाया था.

– इन मंदिरों के बारे में कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडव ने यहां स्वर्ग जाने के लिए सीढ़ी बनवाने की कोशिश की थी. जो सफल नहीं हो सकी.

– तब वह शिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा करते थ. अब मंदिर साल में चार महीने ही नजर आता है. जिन दिनों में पानी होता है तो लोग कश्तियों की मदद से मंदिर तक जाते हैं.

ये है बाथू का मंदिर की कहानी –  भारत में देवी-देवताओं और मंदिरों में लोगों की अटूट आस्था है तभी तो हर देवभूमि पर आपको हमेशा लोगों की भीड़ नज़र आएगी, क्योंकि लोगों का मानना है कि मंदिर में भगवान के दर्शन से उनके कष्ट दूर हो जाते हैं.

Kanchan Singh

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