भारत

आतंकवादियों के बर्बरता का आखिर कब तक शिकार होंगे जांबाज ?

भारत-पाक के बीच लगातार हो रहे आंतकी हमले रूकने का नाम ही नहीं ले रहे है, इनमें रोज कई जवानों की जान जाती है, लेकिन सरकार इस मामले में बात करने के अलावा कोई कड़ा रूख नहीं अपनाती दिख रही है।

लगातार जा रही जवानों की जान से जहां एक ओर उनके परिवार वालों में रोष हैं, वहीं दूसरी ओर देशवासी भी सरकार की इस लापरवाही पर लगातार सरकार पर निशाने बाजी कर रहे हैं।

भारत पाक के बीच अब-तक कब-कब हुई बातचीत

भारत-पाक के बीच अब तक कई बार आपसी संबधों को सुधारने का प्रयास किया जा चुका है, लेकिन फिर भी हर बार का ये आतंकी हमला उस पर सेंध लगा देता है।

भारत ने लगातार कई बार पहल कर पाकिस्तान के साथ कई मामलों पर समझौता करने का प्रयास और संबधों को मधुर करने की कोशिश भी की है। लेकिन हर बार पाकिस्तान खुद ही अपने हर वादें से मुकर जाता है या फिर वहां मौजूद कई कट्टरपंथी संगठन वहां की सैन्य सुरक्षा पर दबाव बनाकर इसे पूरी तरह से भंग करने का प्रयास करते रहते हैं। पाकिस्तान की सरकार के साथ भारत सरकार ने हमेशा ही सकारात्मक रवैया अपनाया है, लेकिन पाकिस्तान में मौजूद अराजक तत्वों ने हमेशा उनमें सेंध ही लगाई है। इस पहल में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपयी ने भी वर्ष 1999 में लाहौर बस यात्रा की शुरूआत करते हुए दोनों देशों के बीच संबधों को सुधारने का एक प्रयास किया था, जिसे वक्त के साथ एक बार फिर से पाकिस्तान की ओर से रोक दिया गया।

कश्मीर और आतंकी हमलों को लेकर जारी है कड़वाहट

दोनों देशों के बीच कश्मीर को लेकर अक्सर विवाद जारी रहता है, दोनों देश एक दुसरे पर कश्मीर मामलें में आग उगलते रहते है। पाकिस्तान ने कई बार भारत पर अचानक से हमला कर और कश्मीरी लोगों को भारत के खिलाफ बरगला कर कश्मीर को हड़पने का प्रयास किया है, लेकिन भारत की एकजुटता और भारतीय संस्कृति ने भारत के अमूल्य हिस्से कश्मीर को तो भारत का हिस्सा बनाये रखा है, लेकिन इसके एवज में भारत ने कई वीर जवानों को खो दिया है।

भारत-पाकिस्तान के बीच कब-कब हुई जंग

भारत-पाक के बीच अब तक 4 बार बड़ी लड़ाइयां हो चुकी है, जिनमें नतीजतन हर बार भारत की ही जीत हुई है और पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी है, लेकिन फिर पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है। दोनों देशों के बीच पहली लड़ाई वर्ष 1947, दूसरी लड़ाई 1965, तीसरी 1971 और चौथी लड़ाई 1999 में कारगिल युद्ध के तौर पर लड़ी गई थी।

हर बार हार का रूख देखने के बाद भी ना तो पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आता है, और ना वह पाकिस्तान में लगातार बढ़ रहे आतंकी सरगनें को लेकर कोई कड़ा रूख अपना रहा है।

पाकिस्तान की इस नापाक हरकतों का सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर के अन्य कई देश भी शिकार हैं। इसलिए अब यह बात बेहद जरूरी है कि सम्पूर्ण विश्व पाकिस्तान के इस आतंकी सरगनें पर कड़ा रूख अपनाते हुए कोई बड़ा निर्णय ले। भारत बॉर्डर पर हो रहे लगातार हमलों में भारत के कई वीर जवान शहीद हो रहे है, जो आज भारत सरकार के लिए चिंता का विषय बन चुका है, जिस पर भारत सरकार के कड़े रूख का सम्पूर्ण भारतवासियों को इंतजार है।

Kavita Tiwari

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