आप कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी के अलावा जो बड़ी खबर सुनते हैं वह है आतंकियों द्वारा कश्मीर में बैंक लूट.
कश्मीर में बैंक लूट लेकर अब एक नई बात सामने आ रही है. बैंक लूटने के पीछे आतंकियों का असल मकसद पैसा लूटने के साथ कुछ ओर है.
आप को बता दें कश्मीर घाटी में करीब 48 घंटों में आतंकवादियों ने लगातार तीन बैंक लूटे हैं और यह सिलसिला पिछले काफी समय से चल रहा है.
लेकिन पिछले कुछ समय से इन घटनाओं में अचानक तेजी आई है. आखिर क्या वजह है कि कश्मीर में बैंक लूट में अचानक तेजी आई है.
दरअसल, अभी तक हम यही समझ रहे थे कि 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद से आतंकवादियों के पास नकद की कमी हो गई है. जिसके कारण आतंकवादी संगठनों की फंडिंग और उनके वित्तीय संसाधनों पर काफी असर पड़ा है और उनके सामने पैसों की किल्लत पैदा हो रही है, क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा सख्त नियम लागू किए जाने के कारण हवाला के माध्यम से पैसे का लेनदेन भी रुक सा गया है. इसलिए पैसे की कमी को पूरा करने के लिए आतंकी बैंक लूट रहे हैं.
एक हद तक से बात सही है कि हथियार खरीदने और अपने आतंकवादियों को देने के लिए इन आतंकवादी संगठनों को पैसों की जरूरत पड़ती है,जिसकी पूर्ति करने के लिए ये बैंक लूट रहे हैं.
लेकिन आतंकियों के कश्मीर में बैंक लूट के पीछे मकसद कुछ ओर ही है. क्योंकि अबतक घाटी में बैंक लूटने की जो घटनाएं हुई हैं उससे जो इनपुट खुफिया एजेंसियों को मिले हैं वह बताते हैं कि इसके जरिए आतंकी एक तीर से कई निशाने साध रहे हैं.
दरअसल, बैंकों पर लगातार हो रहे आतंकी हमलों के कारण सरकार को वहां सुरक्षाबलों और पुलिसकर्मियों को तैनात करना पड़ रहा है. एक अनुमान के मुताबिक पूरे कश्मीर घाटी में बैंकों की करीब 1,500 शाखाएं हैं. इस लिहाज से अगर उनकी सुरक्षा के लिए सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया जाता है, तो घाटी में आतंकवादी विरोधी ऑपरेशन्स के लिए जवानों की संख्या घट जाएगी.
दूसरे बैंक चूंकि सरकार और प्रशासन की छवि से भी जुड़े हैं, ऐसे में कश्मीर में बैंक लूट से सरकार की किरकिरी करना भी आतंकियों को आसान तरीका लगता है. साथ ही आतंक प्रभावित क्षेत्रों में बैंक लूटे जाने के बाद उन क्षेत्रों में वित्तीय लेन देन प्रभावित रहता है. आतंकवादी नहीं चाहते हैं कि कश्मीर घाटी के लोग बैंक में पैसा जमा करें.
क्योंकि जबसे नोटबंदी लागू हुई है, तब से घाटी के ज्यादातर लोगों ने अपने पैसे बैंकों में जमा करना शुरू कर दिया है. आतंकी इन बैंकों पर हमला करके लोगों के मन में एक किस्म की असुरक्षा और डर बैठाना चाहते हैं, ताकि वे पहले की तरह बैंकों में जमा करने की जगह पैसा अपने पास ही रखें.
सुरक्षा एजेंसिया का भी मानना है कि लोगों के पास पैसा रहने से आतंकियों को सहूलियत रहती है. वे जब चाहते हैं, तब लोगों से पैसे ले लेते हैं. नोटबंदी के पहले भी आतंकी ऐसा ही करते थे.
कई कश्मीरी लोग तो अपनी मर्जी से जमात-ए-इस्लामी और इस जैसे अन्य आतंकी संगठनों को चंदा देते हैं.
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