बलूच नेता ब्रह्मदाग बुगती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की अपील करते हुए कहा है कि भारत सरकार उन्हें अपने यहां रहने की अनुमति दे.
उनकी इस मांग से जहां भारतीय कूटनीतिज्ञों के हौंसले बुलंद है तो वहीं पाकिस्तान में बुगती की इस मांग को लेकर हड़कम्प मचा हुआ है.
बलूच नेता ब्रह्मदाग बुगती ने भारत में रहने की इच्छा यूं ही नहीं जाहिर की है – दरअसल, इसके पीछे एक सोची समझी रणनीति है.
यदि उनके शब्दों पर गौर करे तो उससे साफ जाहिर हो जाएगा कि आखिर पाकिस्तान के बलुचिस्तान प्रांत के निर्वासित नेता बुगती भारत में क्यों रहना चाहते है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि जिस तरह से भारत ने बांग्लादेश में मुजीबुर्ररहमान की मदद की थी, ठीक वैसे ही भारत उनकी भी मदद करेगा.
यानी वे भारत में रहकर बलुचिस्तान की आजादी की लड़ाई को बांग्लादेश की भांति अंजाम तक पहुंचाना चाहते हैं.
बलूच नेता ब्रह्मदाग बुगती को भारत में शरण मिलने का बलूच जनता में सीधा संदेश यह जाएगा कि मोदी सरकार उनकी आजादी की लड़ाई को लेकर न केवल गंभीर है बल्कि बांग्लादेश मुक्तिवाहिनी की तर्ज पर वहां की जनता को सैनिक प्रशिक्षण और साजोसामान उपलब्ध कराएगी. वहीं दूसरी ओर भविष्य में अगर ये आंदोलन सफल होता है तो मुजीबुर्ररहमान की तरह ब्रह्मदाग बुगती बलूचिस्तान के प्रधानमंत्री भी बन सकते हैं.
गौरतलब है कि बलूचिस्तान का बुगती कबीला प्रांत का सबसे प्रभावशाली कबीला है.
बुगती फिलहाल स्विटजरलैंड में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं.
वहां से उनको बलुचिस्तान की आजादी की लड़ाई के लिए चलाए जा रहे आंदोलन को चलाने में कठिनाई आ रही है. यदि बुगती को भारत सरकार अपने यहां रहने की इजाजत दे देती है तो इससे जहां उन्हें आंदोलन तेज करने में मदद मिलेगी तो दूसरी ओर बलूच जनता में भी आजादी के प्रति आत्मविश्वास बढ़ेगा. इससे बलुचिस्तान में पाकिस्तान सेना पर न केवल बलूच लिब्रेशन आर्मी के हमले बढ़ेंगे बल्कि लोग भी बड़ी तादाद में बलूच लिब्रेशन आर्मी से जुड़ेंगे.
वहीं दूसरी ओर – पाकिस्तान बुगती समेत अन्य निर्वासित बलूच नेताओं के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाकर उनपर दबाव बनाना चाहता है. इसी वर्ष पाकिस्तान ने बुगती की पार्टी का नाम टैरर वाच लिस्ट में डालवा दिया है. पाकिस्तान ने बुगती की गिरफ्तारी के लिए न केवल इंटरपोल से मदद मांगी है बल्कि उनके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने को भी कहा है. इसके बाद उनको बलूच आंदोलन चलाने में परेशानी आ रही है.
क्योंकि पाकिस्तान के दबाव में आकर स्विट्ज़रलैंड सरकार ने ऑफिशियल आईडी प्रदान करने की उनकी अपील को ठुकरा दिया. स्विटजरलैंड अब बुगती के लिए सुरक्षित शरणगाह नहीं रह गया है. यही वजह है, भारत सरकार से उन्होंने एक ऑफिशियल आईडी इश्यू करने के साथ ट्रेवल डॉक्यूमेंट भी जारी करने की मांग है.
आप को बताते चलें कि बुगती के दादा अकबर बुगती की वर्ष 2006 में पाकिस्तान के तत्कालीन सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ ने एक हवाई हमले में हत्या करा दी थी. लेकिन उस हमले में ब्रह्मदाग वहां से बच निकलने में कामयाब रहे और भाग कर अफगानिस्तान आ गए. वहां से उन्होंने पासपोर्ट हासिल किया और जेनेवा पहुंच गए.
वर्ष 2010 में बलूच नेता ब्रह्मदाग बुगती ने स्विटजरलैंड में शरण ली. तब से वे वहां रहकर बलूचिस्तान में पाकिस्तान सरकार द्वारा चलाए जा रहे दमन चक्र के खिलाफ इंटरनेशनल कैंपेन चला रहे हैं.
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