इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर शुरू किया भैंस पालन और बन गए करोड़पति !
दोस्तों आज हम जिस इंजीनियर की बात कर रहे हैं, वो हरियाणा के जींद जिले के छोटे से गांव बोहतवाला के रहने वाले हैं.
उनका नाम बलजीत सिंह रेढु है. इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद दूध का कारोबार करने वाले बलजीत सिंह रेढु की कहानी हम आपको बता रहे हैं.
बचपन में इन्होंने अपने बुजुर्गों से सुना था कि इनके इलाके में कभी दूध की नदियां बहा करती थी.
लेकिन जब ये बड़े हुए तो ऐसा कुछ भी नहीं था. लेकिन बलजीत सिंह रेढु ने ये सपना संजो रखा था कि एक दिन फिर से वो इलाके में दूध की नदियां बहाएंगे.
अपने इसी मजबूत इरादे के साथ उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की और फिर अपने भाई के साथ मिलकर कुछ गाय और भैंसे खरीद ली. फिर शुरु कर दिया दूध का कारोबार.
आज करोड़ों में उनका कारोबार चल रहा है.
फिर बलजीत सिंह रेढु ने अपना खुद का एक प्लांट भी स्थापित किया जिसका नाम ‘लक्ष्य’ रखा.
दोस्तों आज इनकी कंपनी ‘लक्ष्य’ का सालाना टर्नओवर 150 करोड़ रुपए का है.
10 मुर्रा भैंसों के साथ शुरू किया काम
शुरुआत में बलजीत सिंह रेढु ने अपने भाई महेंद्र सिंह की तरह हीं कृषि आधारित उद्योग करने की बात सोची, और उन्होंने 1995 में मुर्गी पालन के लिए हेचरी कारोबार शुरू किया था. लेकिन उनका सपना तो दूध का कारोबार करना था. इसलिए साल 2006 में डेयरी का कारोबार शुरु कर दिया. आस-पास के किसानों से भी वो दूध लेकर अपनी कंपनी ‘लक्ष्य’ ब्रांड के नाम से बेचने लगे. धीरे-धीरे उनका कारोबार सफलता की बुलंदियों को छूने लगा. और साल 2010 में उन्होंने जींद में हीं एक शानदार मिल्क प्लांट की स्थापना कर दी.
मदर डेयरी को भी दूध सप्लाई करते हैं
आज ‘लक्ष्य’ से 14000 दूध उत्पादक जुड़े हुए हैं. हरियाणा में इनके 120 बूथ मौजूद हैं. फिलहाल इनके पास लगभग 2000 भैंसे और गायें हैं. ये अपने कारोबार को बाहर भी पहुंचाने की कोशिश में लगे हुए हैं. मदर डेयरी को 25,000 लीटर दूध सप्लाई किया जाता है.
ये कहती है रिपोर्ट, आपके लिए भी मौके
साल 1991 – 92 में दूध की पैदावार 5.7 करोड़ टन होती थी. जो अब लगभग 15 करोड़ टन तक पहुंच गई है और इसमें 13 – 15 फ़ीसदी सालाना इजाफे की उम्मीद जताई जाती है. ऐसे में नए कारोबारियों के लिए इस व्यवसाय में बहुत सारे मौके मौजूद हैं.
अगर आप भी भैंस पालन कर करोड़पति बनना चाहते हैं, तो अपने मनोबल को बढ़ाइए, क्योंकि उसके लिए सबसे ज्यादा जरूरत है सच्ची लगन, दृढप्रतिज्ञा और कड़ी मेहनत की.