यहाँ ईद सिर्फ चाँद दिखने पर नहीं आती
ईद आती है सलमान की फिल्म रिलीज़ होने पर , सलमान की फिल्म रिलीज़ ना हो तो ईद फीकी फीकी सी लगती है.
सलमान पिछले कुछ सालों से लगातार अपने प्रशंसकों को ईद पर अपनी नयी फिल्म का तोहफा देते है.
रिव्यु : सलमान की बेहतरीन ईदी है बजरंगी भाईजान
सलमान अपनी खास स्टाइल के बारे में जाने जाते है. अमूमन लोग कहते है कि उनकी फिल्म में कहानी नहीं सिर्फ सलमान और सलमान ही होते है.
बजरंगी भाईजान इस मामले में अपवाद है.
कबीर खान द्वारा निर्देशित इस फिल्म में एक मसाला फिल्म के सारे अवयव है और साथ ही साथ है एक कहानी है, और एक सन्देश भी. कबीर खान की ये फिल्म कई मायनों में राजू हिरानी की फिल्मों की याद दिलाती है.
एक अच्छा सन्देश देने के लिए भरी भरकम बोझिल फिल्म बनाने की ज़रूरत नहीं होती. एक हलकी फुलकी पारिवारिक फिल्म के जरिये भी एक अच्छा सन्देश सीधे सरल तरीके से दिया जा सकता है.
बजरंगी भाईजान कहानी है मुख्य रूप से दो किरदारों की एक बच्ची जो बोल नहीं सकती और सलमान की.
कैसी उस बच्ची को उसके परिवार से मिलाने के लिए सलमान का किरदार हर मुश्किल से पार पाता हुआ पाकिस्तान जाता है.
सलमान ने इसमें कहीं भी ओवर एक्टिंग नहीं की है. हर दृश्य में उन्होंने स्वाभाविक रहने की कोशिश की है और उसमे वो काफी हद तक सफल भी रहे है.
फिल्म में सभी सहयोगी कलाकारों का काम जानदार है पर हमेशा की तरह नवाज़ बाकि सभी कलाकारों से भारी पड़ें है.
नवाज़ के अभिनय पर अगर कुछ भारी पड़ा है तो वो है हर्षाली मल्होत्रा. उनकी मासूमियत और बोलती आँखें पहले दृश्य से ही आपका दिल जीत लेती है.
हर्षाली और सलमान की केमिस्ट्री देखते ही बनती है. दोनों की हंसी ठिठोली, प्यार दुलार और बिछड़ने का दुःख.
कबीर खान की इस फिल्म की सबसे अच्छी बात ये है कि हिन्दू मुस्लिम, भारत पाकिस्तान के नाम पर घृणा फ़ैलाने वाले ठेकेदारों और तथाकथित बुद्धिजियों के मुंह पर ये इतने प्यार से करारा तमाचा मारती है और आम दर्शकों को उतनी ही मासूमियत से गहरा सन्देश भी देती है.
इसीलिए कुछ छद्म बुद्धिजीवी और समाज के ठेकेदार आपको इस फिल्म की बुरे करते हुए इसलिए भी मिल जायेंगे क्योंकि की फिल्म सरल तरीक से सबका मनोरंजन करती हुयी एक गहरी बात कह जाती है.
सलमान कुछ जगह कमज़ोर पड़ते है अभिनय में पर अधिकतर स्थानों पर उन्होंने अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है.
फिल्म में करीना कपूर का कोई खास काम नहीं है. उनको कुछ खास करने का मौका नहीं मिला है. दूसरा कमज़ोर पक्ष है फिल्म का संगीत जो थिएटर से निकलने के बाद याद नहीं रहता.
एक पैकेज के रूप में देखे तो बजरंगी भाईजान सफल रही है मनोरंजन के साथ साथ सन्देश देने में. ये कहना गलत नहीं होगा की बजरंगी भाईजान एक सार्थक मनोरंजक फिल्म है.
बजरंगी भाईजान दोस्तों और पूरे परिवार के साथ देखि जा सकती है क्योंकि ये बच्चों के साथ साथ बड़ों का भी मनोरंजन करती है. फिल्म में कहीं भी घटिया चुटकुले, द्विअर्थी संवाद या अश्लीलता नहीं है.
बजरंगी भाईजान काफी समय बाद सलमान की ऐसी फिल्म है जिसे उनके अभिनय और सरलता के लिए याद रखा जायेगा.
रेटिंग ***
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