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अफ़ग़ानिस्तान की इस बच्चाबाजी प्रथा के बारे में जानकार आपके रोंगटे खड़े हो जायेंगे !

बच्चा बाजी प्रथा

अफ़ग़ानिस्तान की इस बच्चाबाजी प्रथा के बारे में जानकार आपके रोंगटे खड़े हो जायेंगे !

तालिबान और आतंकवाद के लिए जाना जाने वाला अफगानिस्तान यूं तो कई कुप्रथा के लिए जाना जाता है.

यहां ऐसी कुप्रथाएं हैं जिसको सुनकर आपकों लगेगा कि आज भी दुनिया में ऐसे स्थान बचे हैं जहां लोगों की जिंदगी नर्क से भी बदतर है.

हम अफगानिस्तान की जिस कुप्रथा की बता कर रहे हैं वह है बच्चा बाजी प्रथा.

इस प्रथा के तहत बड़े-बड़े लड़ाके, कमांडर, नेता और अन्य लोग अपनी ताकत और रुतबा दिखाने के लिए बच्चा रखा करते थे. कई बार इन बच्चों को औरतों के कपड़े पहनाए जाते थे और इनका यौन शोषण किया जाता था. इन बच्चों को यह कमांडर अपनी प्राइवेट पार्टियों में नचाते भी थे.

हालांकि बच्चा बाजी प्रथा को समलैंगिकता में नहीं गिना जाता था क्योंकि इस्लाम में समलैंगिता हराम है लेकिन यह सांस्कृतिक प्रथा के तौर पर अफगान समाज में मान्य हो गया.

इस पुरानी बच्चा बाजी प्रथा पर 1996-2001 के बीच तालिबान शासन के दौरान रोक लगा दी गई थी लेकिन पिछले कुछ सालों में दोबारा देश के कई हिस्सों में यह प्रथा फिर से जिंदा हो गई.

यह बच्चा बाजी प्रथा पश्तूनों के प्रभुत्व वाले दक्षिणी और पूर्वी अफगानिस्तान और उत्तर में ताजिक समुदाय के बीच आम हो गई.

आमतौर पर बच्चा बाजी में इस्तेमाल किए जाने वाले बच्चों की उम्र 10 से 18 साल के बीच होती है.

इनका कई बार अपहरण कर लिया जाता है और कई बार भयंकर गरीबी के कारण इनके मां-बाप इनको बेच देते हैं. बच्चा बाजी के शिकार बच्चे गंभीर रूप से मनोवैज्ञानिक आघात से गुजरते हैं

दरअसल ऐसा माना जाता है कि अफगान समाज में लड़के-लड़कियों पर सख्त निगरानी और लड़कों का लड़कियों से कम संपर्क होने के कारण इस प्रथा को बल मिला. इसके अलावा, कानून के शासन का अभाव, भ्रष्टाचार, न्याय का अभाव, अशिक्षा और गरीबी ने भी इस बच्चा बाजी प्रथा को बढ़ावा दिया.

लेकिन अब इसके विरोध में आवाज उठ रही है.

कानून में इसी गैप को भरने के लिए सरकार दंड विधान में बदलाव कर रही है. अब नए दंड विधान में इस बच्चा बाजी प्रथा पर रोक लगाते हुए कड़े दंड का प्रावधान किया गया है.