हाल ही में रिलीज़ हुई दमदार एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म बाबूमोशाय बंदूकबाज दर्शकों के बीच खूब वाहवाही बटोर रही है। बहुत कम बजट में बनी ये फिल्म अब तक कई करोड़ रुपए कमा चुकी है। क्रिटिक्स से लेकर दर्शकों तक को फिल्म की पटकथा और किरदारों की एक्टिंग खूब पसंद आई है।
इस सबके अलावा यह फिल्म अपने हॉट सींस को लेकर भी चर्चा में बनी हुई है। ट्रेलर ने तो सेंसर बोर्ड तक को हिलाकर रख दिया है।
हालांकि, खबरों की मानें तो सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म के बोल्ड सींस पर कैंची भी खूब चलाई है लेकिन इसके बावजूद फिल्म में कई सारे बोल्ड सीन दिखाए गए हैं।
फिल्म की प्रोड्यूसर किरण श्रॉफ से सेंसर बोर्ड के एक सदस्या ने कहा क एक महिला इस तरह की फिल्म बाबूमोशाय बंदूकबाज कैसे बना सकती है?
मीडिया से बात करते हुए किरण ने बताया कि सेंसर बोर्ड के सदस्यों ने फिल्म को पास करने से पहले इसे पूरा देखा और फिर एक घंटे तक मीटिंग की। मीटिंग के बाद सेंसर बोर्ड के सदस्यों ने फिल्म को ए सर्टिफिकेट तो दिया लेकिन उसके साथ ही इसमें 48 कट भी लगा दिए।
किरण कहती हैं कि हमने उन्हें कहा कि यह अडल्ट फिल्म है और इस कारण इसमें 48 कट लगाने का कोई औचित्य नहीं बनता है तो उन्होंने हमारी बात को नज़रअंदाज़ करते हुए हर कट के पीछे का कारण बताना शुरु कर दिया।
आए दिन फिल्म मेकर्स की सेंसर बोर्ड के सदस्यों के साथ फिल्म के बोल्ड सींस पर कैंची चलाने को लेकर बहस होती रहती है और ये पहला मामला नहीं है जब किसी एडल्ट फिल्म पर सेंसर बोर्ड की कैंची चली है।
बाबूमोशाय बंदूकबाज के मामले में एक बात नहीं समझ आती कि जब दर्शकों को एडल्ट कंटेंट दिखाना ही नहीं है तो ऐसी फिल्मों पर बैन क्यों नहीं लगा दिया जाता, इन्हें कट लगाकर पेश करने का क्या मतलब है ?
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