बाबरी मस्जिद – इस पूरे जहां में कई धर्मों के लोग एक साथ भाईचारे के साथ रहते हैं.
ये दावा हर व्यक्ति करता है. लेकिन जब इस दावे को निभाने की बात आती है तो ना जाने इंसानियत कहां गुम हो जाती है. धर्म के नाम पर इंसानों की आस्था का कत्ल इस कदर कर दिया जाता है कि वो मंजर हर किसी के रूह को कंपा देने वाला होता है.
यहां बात ये नहीं है कि बाबरी मस्जिद विवाद किसके पक्ष में जाना चाहिए हिंदू या मुस्लिम. वहां राम मंदिर बनना चाहिए या मस्जिद बनना चाहिए. इतिहास में जाएंगे तो इस जमीन से जुड़े अलग-अलग किस्से सुनने को मिलते हैं.
लेकिन वर्तमान की बात करें तो जब बाबरी मस्जिद की चर्चा होती है तो विश्व भर के लोग भारत देश के विरुद्ध अपनी आवाज खड़ी करते हैं और खूब कोसते हैं. लेकिन भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की बात करें तो वहां जब 100 मंदिरों को जमींदोज कर दिया जाता है तो उसके बारे में शायद कोई भी जिक्र करना नहीं चाहता.
आइए जानते हैं कि क्या है पूरा मामला.
भारत देश में वर्तमान में जो सबसे गर्म मुद्दा चल रहा है वो है राम मंदिर का. देशभर के नेतागण तरह-तरह के बयानबाजी करने में लगे हैं. TV चैनलों पर आप नेताओं की बात सुनेंगे तो वे चिल्ला-चिल्ला कर खुलेआम कहते हैं कि राम मंदिर तो उस जगह पर बन कर रहेगा. लेकिन आप शायद इस बात से वाकिफ नहीं होंगे कि भारत देश के अयोध्या नगरी में अगर एक राम मंदिर बनता है तो उसके बदले में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में सैकड़ों मंदिरों को जमींदोज कर दिया जाएगा.
आप यही सोचेंगे कि ऐसा हम कैसे कह सकते हैं?
तो हम आपको बताना चाहेंगे कि किस तरह से अगर अयोध्या में राम मंदिर बनता है तो पाकिस्तान में मंदिर तोड़े जाएंगे.
बात 6 दिसंबर 1992 की है जब भारत में बाबरी मस्जिद के साथ तोड़फोड़ की गई थी. उसके ठीक 2 दिन के बाद ही 8 दिसंबर 1992 को पाकिस्तान के लाहौर स्थित एक जैन मंदिर को गिरा दिया गया. इस जगह पर आपको अब मंदिर नहीं बल्कि खंडहर मिलेंगे. वहीं पाकिस्तान के ही रावलपिंडी में भगवान कृष्ण के मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया. भगवान के इस मंदिर में कई हिंदू परिवार अपना गुजर बसर करते थे. बता दें कि लगभग 100 मंदिरों जो पाकिस्तान के हिस्से में आते थे उनमें से कई जमींदोज कर दिये गए या फिर उनमें से कई मंदिरों को काफी नुकसान झेलना पड़ा था.
पाकिस्तान में पड़नेवाले वाले हिंदुओं के वे मंदिर थे जो हिंदुस्तान पाकिस्तान के बंटवारे के समय पाकिस्तान के हिस्से में चले गए थे. वैसे तो इन मंदिरों में सिर्फ विशेष त्योहारों पर हीं पूजा- अर्चना की जाती थी लेकिन बावजूद इसके इन मंदिरों के साथ तोड़फोड़ की गई. अब सोच सकते हैं कि भारत में एक एक्शन का ऐसा रिएक्शन क्या किसी ने सोचा होगा ?
सोचने वाली बात है कि अभी तो बाबरी मस्जिद अपनी जगह पर मौजूद था. मस्जिद को अपनी जगह से हटाया नहीं गया था. तब भी पाकिस्तान में मंदिरों के साथ इतना कुछ हुआ तो अब अगर राम मंदिर बनाने के पक्ष में फैसला आ जाता है तो हो सकता है कि पाकिस्तान में जो भी मंदिर बचे हुए हैं उनके नामोनिशान पूरी तरह से मिटा दिया जाए.
इतना तो है हिंदुस्तान में राम मंदिर को लेकर माहौल आज जितना गर्म है पाकिस्तान में भी उतनी ही गहमागहमी बढ़ गई है. ऐसा निश्चित रूप से हो सकता है कि अयोध्या के फैसले का हिंदुस्तान के साथ-साथ पाकिस्तान में भी असर होगा.
दोस्तों, हम ये नहीं कहते कि फैसला किसके पक्ष में जाना चाहिए या किस के पक्ष में नहीं. हम तो बस यहां बात कर रहे हैं उस मानवता की जो धर्म के नाम पर खत्म होती हुई नजर आती है.
हम तो बस इतना चाहते हैं कि कर्तव्य ऐसा हो जिससे ना तो खून बहे और ना इंसानियत शर्मसार हो.