लगता है भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राम मंदिर आंदोलन में रथ यात्रा के नायक रहे लाल कृष्ण आडवानी राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर हो गए हैं.
अयोध्या में बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने लाल कृष्ण आडवाणी ही नहीं बल्कि आंदोलन में उनके साथ रहे मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सरीखे नेताओं के लिए भी मुश्किलें जरूर खड़ी कर दी हैं.
गौरतलब हो कि लाल कृष्ण आडवाणी की भारत के प्रधानमंत्री बनने की बड़ी तमन्ना थी. उनके पास दो अवसर आए जब उनके नेतृत्व में भाजपा यदि चुनाव जीत जाती तो आडवाणी प्रधानमंत्री होते. लेकिन वे इन मौको का जीत में नहीं बदल पाए.
उसके बाद पार्टी ने कमान नरेंद्र मोदी के हाथों में दे दी. और उन्होंने मौके को जीत में बदलकर प्रधानमंत्री पद को हासिल किया.
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद लोगों का मानना है कि जिस प्रकार भारतीय जनता पार्टी को खड़ा करने के लिए आडवाणी ने दिन रात मेहनत की और उसको इस स्थिति तक पहुंचाया कि आज देश में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है, उसको देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा को उन्हें कम से कम राष्ट्रपति बनाकर उनका सम्मान करना चाहिए.
लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा आडवाणी समेत भाजपा और विहिप के 14 नेताओं पर अयोध्या में ढांचा ढहाने की साजिश का मुकदमा चलाने का आदेश देने के बाद परिस्थितियां बदल गई हैं.
सीबीआइ की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने इन नेताओं को आरोपमुक्त करने का इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश रद कर दिया. इसको लेकर विपक्ष ने सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं.
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि सीबीआइ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कंट्रोल में है. उन्होंने इसका इस्तेमाल कर आडवाणी को राष्ट्रपति पद की रेस से बाहर कर दिया है. यह सोची-समझी राजनीति है.
माना जा रहा है कि इस फैसले के बाद राष्ट्रपति पद को लेकर उनके नाम पर विवाद हो. विपक्ष उनकी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए उनके खिलाफ दाखिल चार्जशीट को मुद्दा बनाएगा.
इन सबको देखते हुए लगता है कि प्रधानमंत्री की तरह उनके राष्ट्रपति बनने का सपना भी अधूरा रह गया है.
इस फैसले का राजनीतिक असर अभी से दिखना शुरू हो गया है. फैसला आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शीर्ष नेतृत्व ने लंबी बैठक कर हर पहलू पर विचार किया.
गौरतलब हो कि जांच एजेंसी ने अयोध्या में बाबरी ढांचा विध्वंस के मामले में तकनीकी आधार पर आरोपमुक्त हुए नेताओं पर आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने की मांग की थी. सीबीआइ ने हाई कोर्ट के 20 मई, 2010 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें 21 नेताओं को आरोपमुक्त कर दिया गया था.
अयोध्या में बाबरी ढांचा विध्वंस में इनमें से आडवाणी और जोशी सहित आठ नेताओं पर रायबरेली की अदालत में मुकदमा चल रहा है. लेकिन, उसमें साजिश के आरोप नहीं हैं. आठ में से दो लोगों की मृत्यु हो चुकी है. बाकी के 13 लोग पूरी तरह छूट गए थे. इन 13 में चार की मृत्यु हो चुकी है. बचे लोगों में कल्याण सिंह प्रमुख हैं, जो ढांचा ढहने के समय प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और इस समय राजस्थान के राज्यपाल हैं.
बहराल, अब लखनऊ का सेशन कोर्ट आडवाणी, जोशी और अन्य पर आपराधिक साजिश के अतिरिक्त आरोप तय करेगा. इसके लिए सत्र अदालत चार सप्ताह के भीतर कार्यवाही शुरू कर देगा.
लिहाजा, आडवाणी की किस्मत एक फिर कमजोर साबित हुई.
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