बाबरी विध्वंस का रहस्य – 6 दिसंबर 1992 भारतीय राजनीति का एक ऐसा अध्याय है जिसके कई पन्ने खुलने अभी बाकी है. जिस दिन बाबरी ढ़ाचा गिराया गया था उस दिन देश की राजनीति बहुत कुछ ऐसा घटा जिसकी जानकारी लोगों को नहीं है.
जिस 6 दिसंबर ने देश की राजनीति की दिशा ही बदल कर रख दी, उससे जुड़ा एक राज आज हम आपको बताने जा रहे हैं.
इस पूरे मामले में भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, और विनय कटियार के अलावा विश्व हिंदू परिषद के दिवंगत नेता अशोक सिंघल की भूमिका की तो खूब चर्चा हुई.
लेकिन एक नाम ओर भी है जिसको लेकर चर्चा तो हुई और विपक्ष ने उन्हें ही इसके लिए जिम्मेंदार भी ठहराया. वह नाम है कल्याण सिंह का. कल्याण सिंह उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे.
लेकिन इस हो हल्ले में एक बात दब भी गई या कहें दबा भी दी गई.
वह यह कि उस समय के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह ढ़ाचा गिराए जाने और कार सेवा के पक्ष में नहीं थे.
उन्होंने इसके लिए भाजपा नेताओं के सामने अपना पक्ष रखकर अभी ऐसा नहीं करने के लिए कहा. बताया जाता है कि उस वक्त कल्याण सिंह की बात नहीं मानी गई. उन्हें भाजपा और विश्व हिंदू परिषद की ओर से आश्वासन दिया गया कि 6 दिसंबर को बाबरी ढ़ाचे से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी. बल्कि सांकेतिक कारसेवा होगी. वह भी गर्भ गृह और विवादित क्षेत्र से दूर. ये था बाबरी विध्वंस का रहस्य !
कल्याण सिंह ने अपने वरिष्ठ नेताओं की बात पर विश्वास कर लिया. लेकिन 6 दिसंबर को वो सब हुआ जिसके न होने का आश्वास कल्याण सिंह को हिंदू संगठनों और पार्टी की ओर से मिला था तथा इसी के आधार पर कल्याण सिंह ने उच्चतम न्यायालय ने को बाबरी ढ़ाचे के सुरक्षित रहने का हलफनामा दे दिया था.
लेकिन जब 6 दिसंबर को कारसेवकों की कार्रवाई में बाबरी ढ़ाचा ढ़हा दिया गया तो नाराज कल्याण सिंह ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के कहने पर मुख्यमंत्री पद से त्याग देने से मना कर दिया. ये बात आज तक भाजपा ने छिपाए रखी.
बताया जाता है कल्याण सिंह इससे इतने खफा थे कि वे किसी की भी बात सुन ही नहीं रहे थे. उस वक्त दक्षिण भारत से आने वाले भाजपा के एक दिग्गज नेता ने कल्याण सिंह को मनाया था. कहा जाता है कि कल्याण सिंह भाजपा के उस नेता की बात अक्सर मानते थे.
उन्होंने कल्याण सिंह को समझाया देर सबेर आप की सरकार बर्खास्त हो सकती है. इसलिए जिद करने से कोई फायदा नहीं है.
लिहाजा कल्याण सिंह ने भी भाजपा के उस नेता की बात मानकर इस पूरे मामले की जिम्मेंदारी अपने ऊपर लेकर त्याग पत्र दे दिया. लेकिन ये बाबरी विध्वंस का रहस्य भाजपा ने आजतक ये बात किसी को नहीं बताई.
ये था बाबरी विध्वंस का रहस्य !
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